SINGRAULI NEWS : टीएचडीसी कंपनी द्वारा बगैर विस्थापन के गिराये जा रहे घर व पेड़: संजय नामदेव
सिंगरौली। एक ओर जहां कम्पनियों द्वारा पर्यावरणीय संतुलन एवं पर्यावरणीय संरक्षण को लेकर तरह-तरह के दावे किये जाते हैं। दो-चार पेड़ लगाकर यह बताने का प्रयास किया जाता है कि वह पर्यावरण के प्रति समर्पित है। तो दूसरी ओर पुराने हरे भरे पेड़ों को बिना सक्षम अनुमति के छुटटी के दिन काट दिया जाता है।
इस पूरे घटनाक्रम में प्रशासन के जिम्मेदार अधिकारी एवं पुलिस का भी सराहनीय सहयोग प्राप्त होता है। महत्वपूर्ण बात तो यह है कि जिस विस्थापित की भूमि से पेड़ो की कटाई कराई जाती है,उसे तक सूचना देना कम्पनी के आला अधिकारी उचित नहीं समझते। जिसका ताजा तरीन उदाहरण है.
आज की यह घटना। जिसमें की टीएचडीसी द्वारा पुलिस एवं प्रशासन के सहयोग से ग्राम बन्धा में यह कारनामा कर दिखाया है। अहम बात तो यह है कि इस घटनाक्रम में भूमि स्वामी को भी जानकारी देना उचित नहीं समझा गया। भूमि स्वामी विशेष चंद्र गुप्ता की जमीन में बने पुस्तैनी मकान को जबरन ध्वस्त कर दिया गया तथा हरे भरे वृक्षों को जबरदस्ती गिरा दिया गया। भाकपा के राज्य परिषद सदस्य का. संजय नामदेव ने कहा कि टीएचडीसी कंपनी द्वारा विस्थापितों के साथ अन्याय किया जा रहा है।
उन्होने कहा कि जो विस्थापित भूअर्जन नीति २०१३ के अनुसार मुआवजे की मांग करते हुये अभी तक मुआवजा नहीं लिये हैं उनके साथ कंपनी द्वारा जबरदस्ती करते हुये उनके मकानों को ध्वस्त किया जा रहा है। जो जनहित में नहीं है तथा पार्टी इसकी कड़ी निंदा करती है तथा मांग करती है.
जिन लोगों ने खासकर टीएचडीसी कंपनी व सुलियरी कोल माइंस के प्रबंधक, पटवारी रामायण प्रसाद अग्रहरी पचौर, पटवारी राम भजन साकेत देवरी, पटवारी मोती लाल, टीएचडीसी कंपनी के अधिकारी, पुलिस बल के ऊपर कठोर कार्यवाही की जाये तथा विस्थापित को आदर्श पुनर्वास नीति २०१३ के आधार पर उसकी भूमि मकान का अधिग्रहण कर उचित मुआवजा प्रदान किया जाये तथा समस्त विस्थापन सुविधाएं मुहैया कराने के बाद ही किसी का मकान गिराया जाये।
मामला ग्राम बन्धा का
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार ग्राम बन्धा के आराजी क्रमांक 1703 जिस पर काबिज बिलोकन प्रसाद गुप्ता, दीपचन्द्र,विशेष चन्द्र,जगजीवन, मोतीलाल सभी निवासी ग्राम बन्धा के बताये जाते हैं। उक्त आराजी में हरे भरे पेड़ एवं मकान भी निर्मित थे।
आज रविवार के दिन टीएचडीसी के अधिकारी पुलिस एवं प्रशासन के सहयोग से मौके पर पहुंचे तथा हरे भरे पेड़ों सहित पुस्तैनी घर को धराशायी करवा दिया। महत्वपूर्ण बात तो यह है कि इस पूरे घटनाक्रम में कम्पनी या प्रशासन के जिम्मेदार अधिकारियों ने भूमि स्वामियों को इस बात की जानकारी देना तक उचित नहीं समझा गया। जबकि उक्त आराजी में चार मकान भी निर्मित हैं। जिनमें लोग आबाद थे।
नहीं ली गई मंजूरी
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार ग्राम बन्धा की आराजी क्रमांक 1703 में 16-17 की तादात में बड़े वृक्ष थे।
जिनमेें महुआ,चार,तेंदू के पेड़ शामिल थे। जानकारों के अनुसार महुआ तेदू एवं चार के पेड़ काटने के पूर्व वन विभाग केे सक्षम अधिकारी से इन पेड़ों को काटने की स्वीकृति लेने का प्रावधान है। लेकिन अपने असर रसूख एवं ऊंची पहुच के दम पर कम्पनी के आला अधिकारियों द्वारा पेड़ों को काटने की स्वीकृति लेना जरूरी नहीं समझा गया तथा विशाल काय इन पेड़ों को मशीनों के माध्यम से धराशायी करवा दिया गया। महत्वपूर्ण बात तो यह है कि इन पेड़ों की कटाई के पूर्व कम्पनी द्वारा भूमि स्वामियों को भी सूचना नहीं दी गई।
पूरा दल बल रहा मौजूद
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार ग्राम बन्धा की आराजी क्रमांक 1703 में स्थित महुआ चार एवं तेंदू के विशालकाय वृक्षों की कटाई के समय भले ही भूमि स्वामी को सूचना न दी गई हो पर घटना स्थल पर हल्का पटवारी,बन्धा, देवरी व पचौर के साथ-साथ पुलिस बल की उपस्थिति अवश्य रही। सूत्र तो यहां तक बताते है कि इस पूरे घटनाक्रम की जानकारी भूमि स्वामियों को काफी विलम्ब से प्राप्त हुई। जबकि नियमानुसार कम्पनी के आला अधिकारियों को आराजी क्रमांक 1703 में स्थित विशालकाय पेड़ों की कटाई के पूर्व भूमि स्वामियों को आवश्यक रूप से सूचना देना चाहिए था। चर्चा तो यहां तक है कि उक्त आराजी में निर्मित पुस्तैनी मकान की नम्बरींग तक कम्पनी के आला अधिकारियों ने कराना उचित नहीं समझा।