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महंगाई की मार: रेत ठेकेदार ने बढ़ाई 25 फीसदी रायल्टी, 

  1. महंगाई की मार: रेत ठेकेदार ने बढ़ाई 25 फीसदी रायल्टी,
  2. एक हाइवा 500 फिट रेत 30 हजार का
  3. शहर में तीन गुना कीमत में हो रही रेत की बिक्री

सिंगरौली जिले से बड़ी मात्रा में रेत निकाली जाती है। यह रेत उत्तरप्रदेश, सीधी और छत्तीसगढ़ तक ले जाई जाती है, लेकिन अब रेत ठेकेदार कंपनी ने भण्डारण रेत की रायल्टी वसूली में 25 फीसदी इजाफा कर दिया है। इससे बाजार में प्रति डंपर 5 हजार रुपए महंगी हो गई है। वर्षा काल शुरू होने के बाद जिले के सभी रेत खदानें बंद है। रेत भंडारण से रेत की बिक्री हो रही है, ऐसे में दाम आसमान छूने लगा है। प्रति हाईवा रेत/500 फिट 30000 रुपये बिक रहा है।

जबकि इससे पहले 23000 हजार रुपये बिक रहा था। बता दे कि मकान बनाना अब महंगा हो गया है। दाम बढ़ने से कई लोगों के बजट बिगड़ गये है। जिले में संचालित सभी रेत खदानें वर्षा शुरू होने से पहले बंद हो गया है। ठेकेदारों द्वारा कहीं कहीं पर रेत जाम करके रखे है जहां से जरूरतमंदों को रेत की बिक्री किया जा रहा है। भंडारण में रेत के दाम बढ़ गया है। रेत सप्लायरों ने बताया कि इन दिनों प्रति हाईवा रेत 30000 रुपये बिक रहा है। जबकि खदानें बंद होने से पहले प्रति हाईवा रेत /500 फिट 22000 से 25000 रुपये तक में बिक रहा था।

वर्षा शुरू होने के बाद रेत के दाम सीधे 6000 से 7000 रुपये तक बढ़ गया है, इससे लोगों के मकान बनाने का बजट बिगड़ गया है। रेत के दाम अधिक होने से कई लोगों ने फिलहाल काम बंद करा दिया है। अधिकांश रेत जिले से बाहर जा रहा है। जबकि ट्रैक्टर-ट्राली से जरूरतमंद रेत मंगा रहे हैं, क्योंकि इसमें सिर्फ 3000 रुपये प्रति ट्राली मिल रही है। हालांकि रेत के दाम बढ़ने के कारण रेत की मांग स्थानीय स्तर पर कम हो गया है।

36 की बजाए 48 रूपये प्रति फिट बिक रहा रेत

इस कारण आम लोगों को अपने आशियाने बनाने में भारी मुश्कलें आ रही हैं। हाल यह है कि पुलिस कार्रवाई से बचने के लिए ट्रैक्टर वाले रेत कारोबारी सुबह तड़कसार या रात के समय लोगों के घरों में निर्माण स्थलों तक रेता पहुंचा रहे हैं। रेत की कमी के कारण कई गरीबों के काम अब बंद होने के कगार पर पहुंच गए हैं। जिले में इस समय सफेद रेता 36 रुपए की बजाए 45 से 48 रुपए प्रति फिट, बाजार में खरीदने को मजबूर होना पड़ रहा है।

गौर हो कि भवन निर्माण में ही नहीं और भी विकास के कामों में रेता सबसे प्रमुख रा मैटीरियल है। पिछले करीब एक महीने से इसकी कमी की मार झेलनी पड़ रही है। कई गरीबों के घर महंगाई और शार्टेज के चलते बनना भी रोक दिए हैं। ऐसे में इनकी किल्लत दिन-प्रतिदिन बढ़ने से इसकी कालाबाजी शुरू हो गई है। बाजार में रेत के दामों में 25 से 30 फीसदी का इजाफा हो गया है।

कंस्ट्रक्शन के काम में लगे लोग हुए बेरोजगार

बिल्डिंग लाइन में काम करने वाले राज मिस्त्री व मजदूरी का काम न चलने के कारण बेरोजगार हो रहे हैं। प्टिपर चलाने वाले ड्राइवर व मालिक भी काम के बिना घरों में बैठे हुए हैं। वे टिप्परों की किश्तें भरने में भी असमर्थ हैं। उन्होंने सरकार से अपील की वह रेता के रेट कम करने के लिए ठोस कदम उठाए। यदि बिल्डिंग निर्माण का काम चलता है तो उससे राजमिस्त्री, लेबर, कार्पेंटर, पलम्बर व बिजली का काम करने वाले लोगों को रोजगार मिलेगा।

हर्रहवा ( शिवपहरी व भाड़ी ) में सर्वाधिक भंडारण

जिले में रेत का अवैध उत्खनन जोरों पर हो रहा था। एनजीटी की रोक के बाद भी मशीनों से नदियों का सीना छलनी किया जा रहा था। जबकि प्रशासन इस अवैध उत्खनन रोकने में नाकाम साबित हुआ था। वहीं रेत कारोबारी ने बारिश से पहले रेत का भंडारण करना शुरू कर दिया था। जिले में कई ठिकानों पर रेत के बड़ी मात्रा में रेत का भण्डारण किया गया हैं। प्रशासन पर इस संबंध में शिकायतें भी पहुंच रही है। लेकिन जिम्मेदार खनिज विभाग जहां संसाधनों के अभाव में कार्रवाई नहीं कर पा रहा है। वहीं प्रशासन चुप्पी साधे हुए हैं। परिणामस्वरूप माफिया के हौसले बुलंदी पर हैं।

बारिश के मौसम में नदियों के चढ़ जाने से रेत के उत्खनन बंद हो गया है। यहां बता दें कि सिंगरौली जिले में बारिश के मौसम में रेत की पूर्ति के लिए रेत कारोबारी ने भण्डारण बना लिए हैं। अकेले शिवपहरी के हर्रहवा खदान पर 200000 घन मीटर/प्रतिवर्ष रेत का डंप करने की अनुमित मिली हुई है। उर्ति खदान से करीब 38 हजार घनमीटर का डंप करने की अनुमित मिली हुई है।

इसी प्रकार भाड़ी, कादोपानी, रेही, भरसेड़ी एवं सिद्धि खुर्द सहित लगभग आधा दर्जन ठिकानों पर रेत का भंडारण करने की अनुमित मिली हुई है। रेत के दाम पहले ही आसमान छू रहे हैं। वहीं बारिश के मौसम में नदियों से रेत का निकलना बंद हो गया है। ऐसे में रेत के दाम वर्तमान से तीन गुने हो गए है। हर्रहवा में सर्वाधिक भंडारण है। वहीं भाड़ी और उर्ति में भी करीब कई ठिकानों पर रेत डंप किया गया है।

शासन से रेत भरने के तय हैं मापदंड

10 एक्सेल- 16 घनमीटर

12 एक्सेल- 20 घनमीटर

14 एक्सेल- 22 घनमीटर

16 एक्सेल- 24 घनमीटर

भंडारण की लेना होती है अनुमति

बारिश से पहले नदियों से रेत का भंडारण के लिए खनिज विभाग से खदान संचालक को अनुमति लेना होती है। नियमानुसार स्वीकृत खदान से चार किलोमीटर की परिधि में एक स्थान पर निश्चित हैक्टेयर में रेत का भंडारण किया जा सकता है। इसके लिए विभाग को विधिवत सर्वे नंबर बताना होता है।

इसमें राजस्व विभाग की सहमति लगती हैं। भंडारित रेत की मात्रा अनुसार रायल्टी भी दिखाना होती है। साथ ही ऐसा न होने पर 30 गुना जुर्माने का प्रावधान है। लेकिन प्रशासन की अनदेखी से यह सभी नियम कागजी साबित हो रहे हैं।

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