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वृक्षों की डालियां लगवा कर वृक्षारोपण के नाम पर खानापूर्ति कर रहा एनसीएल

SINGRAULI NEWS : शासकीय उपक्रमों में से एक नार्दन कोलफील्ड लिमिटेड अपने कई परियोजनाओं के साथ सिंगरौली जिले में कार्यालय की स्थापना की है लगातार कोयला उत्पादन के क्षेत्र में नित्य कीर्तिमान रच रहे एनसीएल प्रबंधन जहां राष्ट्र विकास की तरफ अपना महत्वपूर्ण योगदान निभा रहा है.

वहीं दूसरी तरफ एनसीएल प्रबंधन के द्वारा मोरवा क्षेत्र के कांटा मोड़ से जयंत खदान की प्रमुख सड़क तक नई सड़क का निर्माण कराया गया एक तरफ जहां सड़क मार्ग से कोयला परिवहन करने को लेकर कोयला वाहनों को चलने के लिए सड़क दे दी गई वहीं आम जनमानस के लिए दूसरी सड़क। नई सड़क के निर्माण कार्य के पूरा हो जाने के साथ ही सड़क पर आवागमन शुरू हो चुका है परंतु सड़क का कायाकल्प लगातार जारी है। आपको बताते चलें कि नई सड़क के निर्माण कार्य के बाद कार्य करने वाली निजी कंपनी के द्वारा सड़क के बीच में बने डिवाइडर पर वृक्षारोपण के नाम पर सड़क के किनारे मौजूद वृक्षों की डालिया तोड़कर पौधे के रूप में दर्शाया जा रहा है बजाए वृक्षारोपण करने की कंपनी के द्वारा कोरम पूर्ति कर दी जा रही है इस बात को लेकर कंपनी के जिम्मेदारों से बात करने का प्रयास किया गया परंतु संपर्क ना हो पाने के कारण कंपनी का पक्ष स्पष्ट नहीं हो सका है परंतु मौके पर डाल लगा रहे मजदूरों से बातचीत के दौरान मजदूरों ने इस बात को स्वीकार किया कि कंपनी के द्वारा वृक्षों की डाल लगाने का कार्य उन्हें सौंपा गया है।

 

वृक्षों की डालियां लगवा कर प्रदूषण का नियंत्रण कर रहा प्रबंधन

एक तरफ जहां सिंगरौली जिला अपनी औद्योगिक गतिविधियों के लिए विख्यात है। वहीं दूसरी तरफ औद्योगिक गतिविधियों के कारण क्षेत्र में प्रदूषण का ग्राफ भी बीते कुछ सालों में बढ़ा है ।

अक्षर या देखने में आ रहा है कि एक तरफ जहां प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के द्वारा दी गई गाइडलाइन का पालन कंपनी के द्वारा नहीं किया जा रहा है। और शायद उसका ही खामियाजा प्रदूषण के रूप में सिंगरौली वासियों को भुगतना पड़ रहा है। मोरवा से लेकर जयंत खदान तक बनी नई सड़क के बीचो बीच डिवाइडर में वृक्षों की डालियां लगवा कर वृक्षारोपण के नाम पर महज कोरम पूर्ति की जा रही है इस पूरे मामले पर ऐसे प्रबंधन के जिम्मेदार अधिकारियों से बात करने का प्रयास किया गया परंतु विभागीय अधिकारी से संपर्क ना हो पाने के कारण एनसीएल प्रबंधन का पक्ष नहीं लिया जा सका है।

 

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