SINGRAULI NEWS : मध्य प्रदेश का सिंगरौली जिला पहले काला पानी के नाम से जाना जाता था। प्राकृतिक संसाधनों से भरपूर सिंगरौली अब किसी परिचय का मोहताज नहीं है।
सिंगरौली की प्रतिभाओं ने देश में अपना लोहा मनवाया है। जिले के होनहार इंजीनियर रियाज़ रफ़ीक को एनसीएल-आईआईटी बीएचयू क्लीनटेक इनोवेशन चैलेंज 2022 के तहत जारी 28 समस्याओं में से किसी भी समस्या का सबसे बेहतर समाधान देने वालों में संपूर्ण भारत से टॉप 15 इनोवेटर्स में से एक के रूप में इसके आखिरी राउंड में चुना गया है।
क्लीनटेक इनोवेशन चैलेंज 2022 का देश के नामी गिरामी संस्था, शोध केंद्र , स्टार्टअप इंडिया और अन्य प्लेटफार्म द्वारा पूरे देश में प्रचार किया गया था। एनसीएल-आईआईटी बीएचयू क्लीनटेक इनोवेशन चैलेंज 2022 छात्रों, पेशेवरों, स्टार्टअप और अन्य संगठनों एवं संस्थानों को खनन उद्योगों के सामने आने वाली वास्तविक दुनिया की समस्याओं को हल करने के लिए एक मंच प्रदान करने और इस प्रकार उत्पाद नवाचार की संस्कृति और समस्या समाधान की मानसिकता विकसित करने के लिए एक राष्ट्रव्यापी पहल है।
क्लीनटेक इनोवेशन चैलेंज 2022 के वेबसाइट के अनुसार चयनित उम्मीदवारों के स्टार्टअप के लिए रोमांचक पुरस्कार हैं जैसे सीड फंड, एनसीएल-आईआईटी बीएचयू में इनक्यूबेशन, वित्तीय सहायता, मार्गदर्शन सहायता, बाजार और सरकारी संपर्क, बौद्धिक संपदा कानूनी एवं परीक्षण सहायता। इसमें पूरे भारत से सैकड़ों आवेदन प्राप्त हुए और अंततः आखिरी राउंड में 15 इनोवेटर्स का चयन किया गया।
साल भर चले कठोर चयन प्रक्रिया के तहत क्लीनटेक इनोवेशन चैलेंज 2022 के आवेदनों को पहले दो राउंड में शॉर्टलिस्ट किया गया और उसके बाद फिर दो राउंड ऑनलाइन प्रेजेंटेशन द्वारा शॉर्टलिस्ट किया गया।
जिसमें वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग कॉल द्वारा कोल इंडिया के वरिष्ठ अधिकारी, वरिष्ठ वैज्ञानिक, आईआईटी के वरिष्ठ प्रोफेसर और इंडस्ट्री एक्सपर्ट के पैनल के सामने उम्मीदवारों द्वारा अपना इनोवेटिव बिजनेस आइडिया प्रस्तुत किया गया। और फिर अंतिम चयनित उम्मीदवारों का चयन फाइनल जूरी राउंड में ऑनलाइन प्रेजेंटेशन से किया गया। बैढ़न, जिला सिंगरौली, मध्य प्रदेश के निवासी रियाज़ रफ़ीक ने अपने आविष्कार “सीढ़ी चढ़ने वाला व्हीलचेयर” को बतौर बिजनेस आइडिया प्रेजेंटेशन दिया था जिस पर उन्हें भारतीय पेटेंट ऑफिस से दो पेटेंट पहले ही मिल चुका है।
रियाज़ ने शारीरिक रूप से दिव्यांग लोगों के जीवन को आसान बनाने और उन्हें चलने फिरने में आत्मनिर्भर बनाने के लिए अपने व्यक्तिगत संसाधनों, धन और दस साल से अधिक समय का निवेश कर “सीढ़ी चढ़ने वाला व्हीलचेयर” का व्यापक शोध कर आविष्कार किया और फिर दो पेटेंट प्राप्त किया है।
इस व्हीलचेयर से सामान्य सतहों पर जा सकते हैं और बिना किसी सहायता के स्वचालित रूप से सीढ़ियां भी चढ़ सकते हैं। इस व्हील्चेयर में एक खास तरह का मेकेनिज्म का आविष्कार किया गया है जिसके वजह से उपयोगकर्ता को केवल व्हीलचेयर को चलाने के लिए कंट्रोल पैनल से सिर्फ दिशा चुनना होगा और यह सीढ़ी चढने के लिये पूरी तरह से स्वचालित होगी इसके अलावा यह अलग अलग आकार के सीढ़ियों पर भी असानी से चलेगी।
इस आविष्कार के पेटेंट मिलने पर रियाज़ रफ़ीक का साक्षात्कार रेडियो पर 3 अक्टूबर 2021 की सुबह आकाशवाणी भोपाल से प्रसारण किया गया था। रियाज़ रफ़ीक का कहना है कि चूंकि दिव्यांग लोग विकासशील देशों में न केवल सबसे वंचित इंसान हैं, बल्कि वे सबसे अधिक उपेक्षित भी हैं।
रियाज़ का प्रयास और आकांक्षाएं दिव्यांग लोगों को मुख्यधारा में लाना है ताकि वे सामान्य आबादी के साथ जुड़ सकें और उत्पादक जीवन जीते हुए सामाजिक-सांस्कृतिक और आर्थिक गतिविधियों में समान रूप से भाग ले सकें ताकि वे भी राष्ट्र के विकास में अपना योगदान दे सकें। रियाज़ का कहना है कि मेरा यह व्हीलचेयर विश्व स्तर पर आत्मनिर्भर भारत की छवि का प्रचार करेगी। एनसीएल-आईआईटी बीएचयू क्लीनटेक इनोवेशन चैलेंज 2022 में टॉप 15 में चयनित होने पर रियाज़ रफ़ीक को एक उम्मीद जगी है की अब बहुत जल्द ही फंडिंग मिल जायेगा और इस आविष्कार को विकसित किया जा सकेगा।
भारत में अभी तक सीढ़ी चढ़ने वाला व्हीलचेयर को बनाने वाला कोई भी कंपनी नहीं है। और कुछ अंतरराष्ट्रीय कंपनियां जो बना रही हैं उसका डिजाइन बहुत जटिल है, उसका रखरखाव के लिए एक्सपर्ट की जरूरत पड़ेगी और बहुत महंगा भी है, उनका कीमत लगभग 20 से 30 लाख का एक व्हीलचेयर है।