SINGRAULI NEWS : महँगाई के इस दौर में आमजन बेहद परेशान हैं।वहीं सरकारी कार्यालय में में चल रहे भर्रेसाही की कहानी उजागर होने के बावजूद भी मनमानियों पर लगाम न लगने से आम जनता अपना भाग्य मान कर चुपचाप सहने को मजबूर रहती है। सिंगरौली जिले के उप पंजीयक की कहानी कोई एक दो हो तो कहीं जाए ऐसा नहीं है कि सिंगरौली जिले के उप रजिस्ट्रार पर लग रहे आरोपों का , यह दौर कोई पहली दफा है इससे पूर्व में भी उप पंजीयक पर कई गंभीर आरोप लग चुके हैं।
इसके साथ ही उप पंजीयक पर आरोप है कि प्रति रजिस्ट्री पर सुविधाशुल्क ली जाती रही है रजिस्ट्री करने वाले दुकानदार दबी आवाज में इस कहानी को बता रहे हैं।बीते दिन से सोसल मीडिया में वायरल हो रहे एक पत्र को लेकर ऑनलाइन रजिस्ट्री स्लाट बुक करने वाले दुकानदार कार्रवाई को सही बता रहे हैं दरशल सिंगरौली में एक उप पंजीयक अधिकारी को निलंबित कर दिया गया है। अफसर को जबलपुर अटैच किया है।
दरअसल, उप पंजीयक अशोक सिंह परिहार ने एक करोड़ 10 लाख 36 हजार 775 रुपये की राजस्व हानि पहुंचाई है। जिसके चलते यह कार्रवाई की गई है।कयास लगाये जा रहे हैं कि जमीन की रजिस्ट्री करवाने व भूमि संपत्ति का मूल्यांकन सही तरह से न करने की वजह से सरकार को राजस्व का नुकसान हुआ है।
हालांकि आरोप की जाँच के बाद और नए खुलासा होने की संभावना है।अनुमान है कि राजस्व विभाग के कर्मचारियों और अधिकारियों की मिलीभगत के चलते सरकार को राजस्व हानि उठानी पड़ती है। भूमि सौदों के दौरान अधिकारी जमीन की कीमत बाजारी भाव से कम आंकते हैं जिससे पंजीकरण शुल्क कम चुकाना पड़ता है।.
इसके अलावा कई बार किसी पार्टी को बिना किसी कारण के पंजीकरण शुल्क में छूट दी जाती है या फिर उनसे पंजीकरण शुल्क बिल्कुल भी नहीं वसूला जाता है। इससे से भी राजस्व हानि होती है। भले ही इस पूरे मामले में एक करोड़ से ज्यादा राजस्व हानि की बात बताई जा रही है परंतु इस मामले में अनुमान है कि यह हानि और ज्यादा की हो सकती है.
बशर्ते इस मामले में उच्च जांच हो। राज्य सरकार ने जमीन के रेट तय किए हुए हैं। हर सर्कल में रेट तय हैं। सर्कल रेट से कम में यदि रजिस्ट्री होती है तो ऑडिट पैरा में नुकसान आ जाता है। इससे नुकसान का पता चलता है। यह भी देखने में आया है कि पहले पटवारी खुद जमीन के रेट तय करते थे। उनकी रिपोर्ट के आधार पर जमीन की रजिस्ट्री होती थी।
नियमों को दरकिनार कर मनमानी करने का आरोप
उप पंजीयक के द्वारा एक करोड़ 10 लाख 36 हजार 775 रुपये की राजस्व हानि पहुंचाई है। कार्यालय महानिरीक्षक पंजीयन एवं अधीक्षक मुद्रांक मध्यप्रदेश की तरफ से 18 अगस्त को जारी आदेश में उल्लेख किया गया है.
कि अशोक परिहार उप पंजीयक सिंगरौली को दस्तावेज क्रमांक एमपी 508452022ए1056581 दिनांक 18 जनवरी 2022 के पंजीयन में 11000000 36775 को राजस्व हानि पहुंचाए जाने के आरोप में मध्य प्रदेश सिविल सेवा नियम 1966 के नियम 9 के अंतर्गत प्रभाव से निलंबित किया गया ।
इसके साथ ही उप पंजीयन को मुख्यालय उपमहानिरीक्षक पंजीयन कार्यालय जबलपुर निर्धारित कर दिया गया। नियमों को दरकिनार कर मनमानी करने का आरोप कई बार सिंगरौली जिले के उप पंजीयक अशोक सिंह परिहार पर लग चुके हैं। अनियमित के आप को लेकर कई बार सिंगरौली जिले की आम आदमी पार्टी की तरफ से मामले को लेकर ज्ञापन शौप कर कार्रवाई की मांग की जा चुकी थी।
वित्तीय अनियमितता के मामले में क्या होगी एफआईआर
वित्तीय अनियमितताओं के मद्देनजर वास्तविकता में यह मामला भारतीय दंड विधान के तहत एक दंडनीय अपराध के रूप में पंजीकृत हो सकता है परंतु यह देखने वाली बात होगी कि आगामी आने वाले समय में इस पूरे मामले को लेकर क्या प्रशासनिक अमला कोई भी विधिक कार्रवाई करने का आग्रह पुलिस के समक्ष रखता है कि नहीं।
परंतु सिंगरौली जिले में ऐसे कई उदाहरण अब तक निकल कर सामने आ चुके हैं जिसमें की वित्तीय अनियमिताओं को लेकर सरकारी कार्यालय में हुए भ्रष्टाचार के मामलों में फिर ना के बराबर ही कराई गई मामले में कार्रवाई न होने से एक तरफ जहां भ्रष्टाचार के मामलों में लगातार इजाफा देखने को मिल रहा है.
वह दूसरी तरफ भ्रष्टाचार में लिप्त पाए जाने वाले कर्मियों के हौसले भी बुलंद होते दिखाई पड़ रहे हैं।राज्य का राजस्व, राज्य की अर्थव्यवस्था की रीढ़ होने के कारण, कर कानूनों के प्रावधानों के कार्यान्वयन में कोई समझौता नहीं किया जा सकता है और निष्क्रियता और भ्रष्ट गतिविधियों के प्रति किसी भी तरह की ढील या सहनशीलता की स्थिति में, सरकार भी इसमें विफल हो रही है संवैधानिक सिद्धांतों को बनाए रखना उसका कर्तव्य है और इस प्रकार, तत्काल कार्रवाई की अत्यधिक आवश्यकता है।