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जिले में सूखें की आहट,अन्नदाता चिंतित,अब तक दर्ज हुई 502मिमी वर्षा

SINGRAULI NEWS : जिले में औसतन बारिश 1300 मिमी होनी चाहियें।

अगस्त महीनें में केवल तीन दिन बारिश हुई,वह भी काफी अंतराल के बाद, अगस्त महीने में बारिश के थमने से अन्नदाताओं में जहॉ त्राहि-त्राहि मची है। वहीं इसे सूखे की आहट माना जा रहा हैं। जिले में अब तक केवल 502.2 मिमी बारिश दर्ज की गयी हैं जबकि पिछले वर्ष 28 अगस्त की स्थिति में 579.3 मिमी वर्षा दर्ज की गयी थी।

गौरतलब हो कि जिले में अगस्त महीने में केवल कई दिनों के अंतराल के बाद मात्र तीन दिन रूक-रूककर बारिश हुई है। और यह भी बारिश कहीं ज्यादा कहीं कम थी। बैढऩ इलाके में ज्यादा बारिश नहीं हुई।

साथ ही सरई तहसील इलाके के कई हिस्सों में तेज बारिश न होने से खरीफ फसलें अधिकांश गांवों की मुरझा गयी हैं। इधर उम्मीद थी कि सावन मास के अखिरी दिनों में बारिश हो सकती हैं लेकिन जाते-जाते सावन मास भी अन्नदाताओं को निराश करते हुये जा रहा हैं। वैसे आसमान में रोज काले बादल मडऱाते रहते हैं। लेकिन बारिश होने का नाम नहीं ले रही हैं। जिसके चलते अन्नदाताओं में त्राहि-त्राहि मची हुई हैं।

आलम यह हैं कि करीब- करीब दस दिनों से पूरे जिले में अचानक बारिश के थम जाने से अन्नदाताओं की चिंतायें लगातार दोगुनी होती जा रही हैं। ग्राम खैरा के किसान लखन केवट बताते हैं कि कई दिनों से यहॉ बारिश नहीं हो रही हैं जिसके चलते अधिकांश खरीफ फसलें मुरझा गयी हैं। धान की फसलें अब सूखने की कगार पर हैं। बिजली भी दगा दे रही हैं।

अघोषित कटौती से फसलों की सिंचाई भी नहीं हो पा रहीं हैं। जिसको लेकर अन्नदाता अब काफी परेशान हैं। ओडांगी गांव के किसान धनंजय दुबे का कहना हैं कि इस साल बारिश अब तक सबसे कम हुई हैं। नदी नाले सभी सूखे हुये हैं।

आगे आने वाले दिनों में सबसे ज्यादा परेशानी मवेशियों को होगी, जिन्हें दाना पानी के लिये मोहताज होना पड़ेगा। यदि नियमित तीन फेस बिजली भी मिले तो कुछ हद तक फसलों की सिंचाई की जा सकती हैं । लेकिन बिजली की अघोषित कटौती भी सबसे बड़ा चिंता का कारण हैं।

रजमिलान निवासी दिनेश शाह का कहना हैं कि वैसे भी क्षेत्र में बारिश देरी से शुरू हुई और अब बारिश के थम जाने सेे धान सहित अन्य खरीफ की फसलों को भारी नुकसान हो रहा है। यदि 15 सितम्बर तक बारिश नहीं हुई तो आगे के दिनों में बारिश होना मुश्किल है। इस साल अकाल पडऩे का आहट दिखाई दे रहा है।

बैढऩ के हिर्रवाह निवासी रूपचंन्द शाह भी बताते हैं कि इस साल सबसे भवायह अकाल पडऩे का संकेत है। भू-जल स्तर भी लगातार नीचे की ओर खिसक रहा है। खरीफ फसलें मुरझा जा रही हैं। एक-दो दिन में बारिश नहीं हुई तो अन्नदाताओं की आर्थिक कमर टूट जायेगी।

सिंगरौली-सरई तहसील क्षेत्र में हुई है कम बारिश

जिले में अब तक सब कम बारिश सिंगरौली एवं सरई में दर्ज की गयी हैं। जबकि माड़ा एवं चितरंगी तहसील में उक्त तहसीलों की तुलना में ज्यादा बारिश दर्ज हुई है।

कलेक्टर भू- अभिलेख दफ्तर से बारिश से संबंधित मिले ऑकड़ों के मुताबिक देवसर तहसील में 500.2, सिंगरौली 405.1, चितरंगी 532.7, सरई 449.6 एवं माड़ा तहसील क्षेत्र में 625.6 मिमी औसतन वर्षा दर्ज की गयी है। जिले में अब तक कुल 502.6 मिमी बारिश हुई है।

जबकि पिछले साल 28 अगस्त को औसतन 7.6 औसतन बारिश दर्ज की गयी थी। पिछले वर्ष आज की स्थिति में कुल बारिश 579.3 मिमी बारिश हुई थी। अभी बारिश होने के ज्यादा लक्षण नहीं दिखाई दे रहे हैं।

अघोषित बिजली कटौती बनी परेशानी का सबब

जिले में बिजली की अघोषित कटौती किसानों के लिये परेशानी का सबब बनती जा रही है। आलम यह हैं कि ग्रामीण अंचलों में बिजली की कई घण्टें तक दर्शन नहीं होते। यदि बिजली के दर्शन भी हुये तो तीन फेस रहना मुश्किल हैं।

यह समस्या आज से नहीं काफी दिनों से है। एमपीईबी अमला ग्रामीण अंचलों में इस समस्या को दूर करने में कोई दिलचस्पी नहीं ले रहा है। लिहाजा सिंचाई के अभाव में खरीफ फसलें खासतौर पर धान चौपट हो जा रही हैं। अन्नदाताओां ने सांसद एवं विधायक का ध्यान आकृष्ट कराया है।

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