आदिवासी समुदायों के अधिकारों को सुरक्षित रखने की जिम्मेदारी सभी की : शोध छात्र रंजीत राय।

आदिवासी समुदायों के अधिकारों को सुरक्षित रखने की जिम्मेदारी सभी की : शोध छात्र रंजीत राय।

विश्व आदिवासी दिवस के अवसर पर संगोष्ठी आयोजित।

शक्तिनगर (सोनभद्र) ~:  आदिवासी समुदायों का महत्वपूर्ण योगदान भारतीय समाज और संस्कृति के विविध पहलुओं की रूपरेखा में है। उनका संरक्षण और सम्मान महत्वपूर्ण है, क्योंकि वे अपनी अनूठी परंपराओं, ज्ञान, कला, और साहित्य को बनाए रखते हैं जो समृद्धता और संस्कृति के साथी हैं। आदिवासी समुदायों की संरचना और जीवनशैली प्रकृति के साथ संगत है और वे प्रकृति के संरक्षण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

विश्व आदिवासी दिवस का अवधारणा और महत्व समझने से पहले, हमें इस दिवस का इतिहास जानना होगा। इस दिन संयुक्त राष्ट्र संघ ने आदिवासियों के भलाई के लिए एक कार्यदल गठित किया था जिसकी बैठक 9 अगस्त 1982 को हुई। और इस दिन से विश्व आदिवासी दिवस हर साल 9 अगस्त को मनाया जाने लगा। इस दिवस का मुख्य उद्देश्य विश्वभर में आदिवासी जनजातियों के अधिकारों और मान्यताओं को प्रोत्साहित करना है।

यह दिवस एक संदेश देता है कि हमें समस्त मानवीय समुदायों के बीच सामंजस्य और सद्भाव को स्थापित करने की आवश्यकता है और हमें आदिवासी समुदायों के अधिकारों को सुरक्षित रखने और समर्थन करने की जिम्मेदारी है। उक्त बातें काशी हिंदू विश्वविद्यालय वाराणसी के पत्रकारिता विभाग के शोध छात्र रंजीत राय ने महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ एनटीपीसी परिसर में विश्व आदिवासी दिवस पर डॉ विनोद पांडेय द्वारा आयोजित संगोष्ठी में मुख्य वक्ता के तौर पर कही।

कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे परिसर प्रभारी डॉ प्रदीप यादव ने कहा कि आदिवासी समुदायों को उनके अधिकारों के बारे में जागरूक करना और सुरक्षा, शिक्षा, स्वास्थ्य और आर्थिक विकास की दिशा में सहायता प्रदान करना अत्यंत आवश्यक है। साथ ही, उनके राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर प्रतिनिधित्व को बढ़ावा देना चाहिए ताकि उनकी आवाज समाज के सभी स्तरों तक पहुंच सके।

कार्यक्रम के आयोजक डॉक्टर विनोद पांडेय ने कहा कि विश्व आदिवासी दिवस का मनाना हमें याद दिलाता है कि हमारी समाज में भीड़तांत्रिकता नहीं होनी चाहिए और हमें आपसी सद्भाव, समरसता और समानता की ओर बढ़ना चाहिए। विश्व आदिवासी दिवस के माध्यम से हम आदिवासी समुदायों के साथ एक नया यात्रा आरंभ कर सकते हैं, जिसमें हम सभी उनकी समजीवनशैली, संस्कृति और मूल्यों का सम्मान करते हैं और सभी के बीच सामरिकता और सहयोग को बढ़ावा देते हैं।

इस अवसर पर महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ एनटीपीसी परिसर आचार्य परिवार सहित भारी संख्या में छात्र-छात्राएं उपस्थित रहे।

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