SINGRAULI NEWS. : देश भक्ति जन सेवा का नारा लगाने वाली पुलिस इन दिनों चर्चाओं में बनी हुई है। सिंगरौली जिले में पदस्थाना सहित मनपसंद थाना चौकियों में पदस्थ होना पुलिस के उन जवानों के लिए प्रमुख है जिन्हें उपरी कमाई करनी है ऐसे जवानों को चर्चा इलाके के चाक चौराहे पर चर्चा में है हो भी क्यों न आम जन मानस चैन से नही रह पा रहा है जिले के तमाम इलाकों में जिस तरह से नित नए अवैध कारोबार ने जोर पकड़ रखा है.
वह अपराध सहित इलाके की शांति व्यवस्था को बाधित कर रहा है। आपको बताते चलें कि जिले में अवैध रेत शराब गांजा स्मैक सहित नसीली दवाओँ ने अपना पैर जमा रखा है वह नव युवकों को अपनी आगोश में ले रहा है जिससे युवा अपने नशे की लत को पूरा करने के लिए न चाहते हुए भी अपराध कर बैठते हैं और जाने अनजाने में अपराधी बन जाते हैं। अवैध शराब से लेकर अन्य मादक पदार्थों को किराने की दुकान सहित सब्जी की दुकानों जैसी जगहों पर उपलब्ध हो रही , वहीं इलाके में आमजन को जब इसकी जानकारी है तो इलाके के पुलिस चौकी पुलिस थाने में इसकी जानकारी न हो इससे इनकार नही किया जा सकता है। अब इस अवैध कारोबार को संरक्षण न हो इस पर शंका नही की जा सकती है।
कारखास के पद का सृजन
थाने से लेकर चौकियों में पदस्थ पुलिस कर्मियों में कुछ को विशेष कार्यभार प्रभारी के हामी के बाद दे दिया जाता है जिसे पुलिसिया भाषा में कारखास कहते हैं। इन कारखास का काम इलाके की विशेष गतिविधियों में नजर रखना होता है इलाके में चलने वाली अवैध गतिविधियों को संचालित करने वाले लोगों से गतिविधियों के संचालन निष्पादित करने के एवज में मोटी रकम जमा करने के बाद उन्हें अनुमति दी जाती है । पुलिस के संरक्षण में अवैध कारोबार करने वाले कारोबारी बेख़ौफ़ हो कर अपना काम आसानी से करते हैं क्यों कि इंट्री के बाद उन्हें पुलिस उन्हें संरक्षण देती है। उक्त जानकारी विभिन्न क्षेत्रों के थाने चौकियों के लोगों के द्वारा प्रदान की गई है।
कारखास कमाई के लिए बने रहना चाहते हैं थाने चौकियों में
पुलिस कर्मियों को जिले में इधर उधर करने का काम भले ही पुलिस अधीक्षक के पास है पर कई सैकड़ों पुलिस कर्मियों पर नजर रख पाना एक व्यक्ति के सम्भव नहीं है । कारखास के काम को करने वाले कुछ पुलिस कर्मियों ने मौखिक आदेश दे अपनी पदस्थाना मन पसंद थाने चौकियों पर करवा रखी है जिसके पीछे की वजह ऊपरी कमाई है। अब देखने वाली बात होगी कि पुलिस कप्तान की तीखी नजर से बचते हैं वहीं क्या इस परंपरा पर विराम लगा पाते हैं कि यह तो आने वाला समय बताएगा ।