निजीकरण के साथ कुछ लाभ भी हो सकते हैं, जैसे कि वित्तीय स्वतंत्रता और व्यक्तिगत उत्थान, लेकिन यह नुकसान भी पैदा कर सकता है, जैसे कि:
सामाजिक असमानता: निजीकरण से समाज में अधिक असमानता हो सकती है, क्योंकि धन केवल कुछ लोगों के पास होता है और अन्यों के पास नहीं होता।
सेवा की गुणवत्ता: सरकारी सेवाओं और सामाजिक सुरक्षा के क्षेत्र में निजीकरण से सेवाओं की गुणवत्ता और पहुँच में कमी हो सकती है, क्योंकि निजी कंपनियां लाभ कमाने के लिए कट्टर रूप से कोशिश कर सकती हैं।
प्राकृतिक संसाधनों का उपयोग: निजीकरण से प्राकृतिक संसाधनों का अधिक उपयोग हो सकता है, जिससे पर्यावरण को हानि पहुँच सकती है।
नौकरी की सुरक्षा: निजीकरण के साथ नौकरियों की सुरक्षा कम हो सकती है, क्योंकि कंपनियां अधिक लाभ कमाने के लिए लागत कटौती कर सकती हैं और नौकरी निकाल सकती हैं।
इसलिए, निजीकरण के पूर्ण लाभ और हानियों का संतुलन देखना महत्वपूर्ण है, और सरकारों को नीतियों में सावधानी बरतनी चाहिए ताकि समाज के सभी वर्गों को समान और न्यायपूर्ण लाभ मिल सके।