सनातन धर्म, जिसे अक्सर “हिन्दू धर्म” भी कहा जाता है, भारतीय उपमहाद्वीप का एक प्रमुख धार्मिक और दार्शनिक परंपरा है। इसकी शुरुआत का आकलन करने के लिए हमें प्राचीन भारत के धार्मिक और दार्शनिक विचारों की ओर बढ़ना होगा, जिनमें वेद, उपनिषद, पुराण, महाभारत, रामायण, और भगवद गीता जैसे महत्वपूर्ण ग्रंथ शामिल हैं।
सनातन धर्म की विशेषता:
धार्मिक स्वतंत्रता: सनातन धर्म का एक महत्वपूर्ण लक्षण यह है कि इसमें धार्मिक आदर्शों और धार्मिक अभिप्रायों के प्रति व्यक्तिगत स्वतंत्रता की गई है। कोई एक विशेष पंथ या धर्मिक अभिप्राय पर आदर्शित नहीं होता, और धार्मिक अध्ययन और प्राकृतिक ध्यान के माध्यम से आत्मज्ञान प्राप्त करने की स्वतंत्रता दी जाती है।
संस्कृति और आदर्शों का समृद्ध संग्रह: सनातन धर्म भारतीय संस्कृति का महत्वपूर्ण हिस्सा है और इसमें विभिन्न धार्मिक और आदर्शिक ग्रंथों के माध्यम से मानव जीवन के विभिन्न पहलुओं को समझाने वाले उपदेश और कथाएं शामिल हैं।
संवाद और सहिष्णुता: सनातन धर्म में संवाद का महत्व बड़ा है, और यह विभिन्न धार्मिक दृष्टिकोणों के बीच सहिष्णुता और समझौता प्रमोट करता है। इसमें अलग-अलग धर्मों के प्रति समर्पितता और आदर्शों की गुणवत्ता की प्रमोटन होती है।
समाज में सेवा की महत्वपूर्ण भूमिका: सनातन धर्म के अनुसार, सेवा और दान करना महत्वपूर्ण है। यह धर्मिक आदर्श समाज में सामाजिक न्याय और सहयोग को प्रमोट करते हैं।
संघटन और योग्यता: सनातन धर्म के अनुसार, व्यक्ति को अपनी योग्यता के हिसाब से कार्य करना चाहिए और उसका संघटन ध्यानपूर्वक होना चाहिए।
सनातन धर्म अपनी अनगिनत शैलीयों और अद्वितीय विविधताओं के साथ एक बड़े और विशाल धार्मिक परंपरा है और यह धार्मिक और आदर्शिक जीवन के विभिन्न पहलुओं के लिए मार्गदर्शन प्रदान करता है।