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Krishna Janmashtami 2023: श्रीकृष्ण जन्माष्टमी कि हार्दिक शुभकामनाए आप सभी को

Krishna Janmashtami 2023: श्रीकृष्ण जन्माष्टमी कि हार्दिक शुभकामनाए आप सभी को

माता देवकी और वासुदेव के वंश में कन्हैया का जन्म हुआ। उनका जन्म पाप से मुक्ति दिलाने, भक्तों का उद्धार और दुष्टों का अंत करने, महाभारत के जरिए जीवन का पाठ पढ़ाने के उद्देश्य से हुआ था।

उनका पूरा जीवन ही मानव जाति के लिए एक सीख की तरह रहा। बचपन में अपनी शैतानियों और नटखट व्यवहार से वह खेल-खेल में लोगों को सही और गलत में फर्क सिखाया करते। एक किस्सा है कि कैसे नटखट कान्हा गांव की महिलाओं के वस्त्र चुरा लिया करते, जब वह यमुना जी में स्नान के लिए जाती थीं। उन्होंने ऐसा करके एक बड़ा संदेश दिया।

वहीं राधा रानी से कृष्ण प्रेम करते थे लेकिन विवाह नहीं किया, इस तरह उन्होंने धर्म और कर्म का पाठ पढ़ाया। महाभारत के समय अर्जुन के सारथी बन उन्होंने असत्य और पाप के खिलाफ अपनों के भी विरुद्ध खड़े हो जाने की सीख दी। श्रीकृष्ण के जीवन से जुड़े कई किस्से आपको जीवन को सरल बनाने का पाठ पढ़ाते हैं। कृष्ण के गुण सफलता का मार्ग दिखाते हैं।

साधारण जीवन जीना

भगवान श्रीकृष्ण के कई गुणों में से एक उनका साधारण जीवन जीने की कला है। वह एक बड़े घराने से संबंध रखते थे । कान्हा गोकुल के राजा नंद के पुत्र थे। लेकिन उन्हें इस बात का घमंड नहीं था। वह ग्वाल बालों संग गायों को चराने जाया करते थे। साधारण जीवन जीते थे। उन्होंने अपने इस गुण से संदेश दिया कि कभी भी अपने पद पर अभिमान न करें। सबके साथ समान व्यवहार करें।

सही मार्गदर्शन

श्रीकृष्ण ने हमेशा सही मार्ग पर चलने की प्रेरणा दी। उन्होंने महाभारत के समय गीता के उपदेश दिए। ‘कर्म करते जाओ फल की इच्छा मत करो।’,धर्म की रक्षा के लिए अपनों के भी विरुद्ध खड़े हो जाओ।, जैसे कई उपदेश उन्होंने अर्जुन को दिए और सारथी बनकर पूरे युद्ध में अर्जुन व पांडवों का साथ दिया। जब भी अर्जुन व्याकुल हुए उनका सही मार्गदर्शन किया।

मुश्किलो में साथ देना

श्रीकृष्ण का एक गुण रहा कि वह दूसरों की मदद करते थे। सुदामा उनके गरीब मित्र थे लेकिन राजा होते हुए भी माधव को इस बात का घमंड नहीं था। जब सुदामा उनसे मिलने आए तो वह द्वार तक सुदामा जी को लेने पहुंच गए। पांडवों की पत्नी द्रौपदी श्रीकृष्ण की सखा थीं, जब उनका चीरहरण हो रहा था तो देवकीनंदन ही उनकी मदद के लिए आगे आए। जब कौरवों और पांडवों के बीच युद्ध हुआ और दोनों मदद के लिए द्वारिकाधीश के पास पहुंचे तो कृष्ण ने ये जानते हुए कि कौरवों की सेना बहुत बड़ी है, उन्होंने पांडवों का साथ दिया। बिना अमीर-गरीब, लिंग और जाति देखे वह मुश्किल वक्त में अपनों का साथ देने से पीछे नहीं हटते थे। उनके इस गुण को अपना सकते हैं।

कृष्ण जन्माष्टमी कि सयरी

माखन चुराकर जिसने खाया,
बंसी बजाकर जिसने नचाया, ख़ुशी
मनाओ उनके जन्मदिन की,जिसने
दुनिया को प्रेम का रास्ता दिखाया।
जन्माष्टमी की हार्दिक शुभ कामनाएँ।

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