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बहन के शव को पीठ पर बांधकर बाइक से ले गया युवक; 15 मिनट तक सभी ने यह नजारा देखा

बहन के शव को पीठ पर बांधकर बाइक से ले गया युवक; 15 मिनट तक सभी ने यह नजारा देखा

बहन के शव को पीठ पर बांधकर बाइक से ले गया युवक; 15 मिनट तक सभी ने यह नजारा देखा

औरैया जिले में स्वास्थ्य सेवाएं कितनी खराब हैं इसका उदाहरण यहां सीएचसी पर देखने को मिला। नवीन बस्ती पश्चिमी निवासी प्रबल प्रताप सिंह की बेटी अंजलि (20) पानी गर्म करने के लिए बाल्टी में रखी रॉड छूने से बेहोश हो गई।

परिजनों ने देखा तो उसे बेहोशी की हालत में सीएचसी ले जाया गया। जहां डॉक्टर ने बच्ची को मृत घोषित कर दिया. इसके बाद जो हुआ वह सीएचसी परिसर में मौजूद लोग देखते रहे। शव ले जाने के लिए कोई साधन नहीं मिला तो भाई ने शव को बाइक पर रख लिया। दूसरी बहन पीछे बैठ गई.

इसी बीच भाई ने मृत बहन के शव को दुपट्टे से अपनी पीठ पर बांध लिया और घर के लिए निकल गया. करीब 15 मिनट तक इस पूरे घटनाक्रम पर सभी की निगाहें टिकी रहीं. जानकारी के मुताबिक, मंगलवार को बाबूराम मोहनलाल कॉलेज के पास नवीन बस्ती पश्चिमी में रहने वाली अंजलि नहाने के लिए पानी गर्म करने कमरे में गई.

जहां बाल्टी में इलेक्ट्रॉनिक रॉड रखा हुआ था. इसी दौरान वह करंट की चपेट में आ गयी. जब परिजनों ने अंजलि को बाल्टी के पास पड़ा देखा तो उसे लेकर सीएचसी पहुंचे। जहां मौजूद डॉक्टर ने अंजलि को मृत घोषित कर दिया। बच्ची की मौत के बाद परिवार तबाह हो गया। डॉक्टर बिना पोस्टमार्टम के शव घर ले जाने की बात कहकर बाहर आ गए।

अंजलि का भाई आयुष, पिता प्रबल और दूसरी बहन बाइक से थे। अंजलि की मौत से इतना सदमा लगा कि परिवार ने एंबुलेंस पर ध्यान ही नहीं दिया. एम्बुलेंस व्यवस्था होने पर शायद ही किसी ने ध्यान दिया हो। आयुष बाइक पर बैठा है. दूसरी बहन पीछे बैठ गई.

बीच में पिता ने अंजलि का शव रखा। संतुलन न बिगड़े इसके लिए दुपट्टे से अंजलि का शव भाई आयुष ने पीठ पर बांध लिया। तकरीबन 15 से 20 मिनट तक यह सब सीएचसी परिसर में चलता रहा। हर किसी की निगाहें बाइक पर टिकी रहीं।

इस संबंध में सीएचसी अधीक्षक का कहना था कि शव ले जाने के लिए वाहन मांगा जाता तो जरूर दिया जाता। अगर कोई वाहन नहीं होता है तो वाहन 100 शैया अस्पताल से मंगाकर कर शव घर भेजा जाता है। बाइक पर शव ले जाने के संबंध में जानकारी नहीं है। अगर कोई ऐसा मामला है तो जो जानकारी की जाएगी।

सवाल यह है कि अस्पताल से शव को घर तक पहुंचाने के लिए वाहन मिले यह किसकी जिम्मेदारी है। इस समय जिले में सिर्फ दो शव वाहन हैं। इनमें से एक मेडिकल कॉलेज में रहता है, जबकि एक 50 बेड के अस्पताल में। इन्हें आने में कम से कम पौने दो घंटे का समय लगता है।

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