सिंगरौली

SINGRAULI NEWS:रेलवे प्रभावित खोभा की भूमि की कलेक्टर के प्रतिबंध के बाद भी हो गई रजिस्ट्री

SINGRAULI NEWS: देवसर, ललितपुर से सिंगरौली SINGRAULI प्रस्तावित नई रेल लाइन को लेकर सीधी जिले में रेल लाने की कवायत वर्तमान भाजपा सांसद रीती पाठक के द्वारा तेज की गई थी जिसके बाद से हरकत में आई सरकार ने आनन-फानन में अधिग्रहण संबंधी कार्यों के लिए व्यापक स्तर पर बजट दिया गया था

जिसके बाद से सीधी जिले में रेल लाने का सपना सीधी वासियों का पूरा होना दिखाई पड़ रहा था तो वही सिंगरौली जिले के कुछ हिस्से जो नई रेल लाइन से प्रभावित एवं नई जगह पर रेल लाइन आ जाने से लोगों की यातायात व्यवस्था को सुगम बनाने हेतु था उस पर बिचौलियों की नजर पड़ने के कारण अब यह पूरा मामला खटाई में पड़ गया है

दरअसल शासन को ही चूना लगाने में शासकीय कर्मियों के द्वारा कोई कसर नहीं छोड़ी गई एक तरफ अधिग्रहण को लेकर लगातार कई बार SINGRAULI जिला प्रशासन के समक्ष शिकायत की जा चुकी है कि ललितपुर सिंगरौली रेलवे लाइन व्यापक स्तर पर भ्रष्टाचार किया गया है परंतु संबंधित मामला सामने आने के बाद भी प्रशासनिक अमले में कोई खास हरकत दिखाई नहीं दी जो इस बात की तरफ इंगित करता है कि संबंधित मामले में प्रशासनिक अमले के लोग मिले हुए हैं।

देवसर एवं चितरंगी के कुछ क्षेत्र रेलवे लाइन से प्रभावित होने के कारण 22 सितंबर 2017 को जिला प्रशासन के द्वारा रजिस्ट्री क्योंकि नामांतरण बटंवारा आदि पर रोक लगा दी गई थी। जबकि इस तारीख के पूर्व में सिंगरौली जिले की 931 रजिस्ट्री नामांतरण की राह देख रहे किसानों के गले की हड्डी बन गई एवं उक्त आदेश दिनांक से पूर्व की रजिस्ट्री पर भी इसका असर स्पष्ट तौर पर दिखाई दिया दरअसल अब तक लगभग हजारों किसानों की रजिस्ट्री नामांतरण की राह देख रही है।

ललितपुर सिंगरौली SINGRAULI रेलवे लाइन कि भूमि अधिग्रहण में एक से एक बड़े बड़े कारनामे सामने आ रहे हैं इन दिनों देवसर तहसील अंतर्गत ग्राम खोभा का एक सनसनीखेज मामला सामने आ रहा है

आरोप लगाए जा रहे हैं कि तत्कालीन कलेक्टर ने दिनांक 08/09/2020 को एक पत्र जारी कर खोभा की रेलवे प्रभावित जमीन के संबंधित खसरे के क्रय विक्रय नामांतरण बंटवारा इत्यादि पर रोक लगाई थी लेकिन आदेश पत्र में एक त्रुटि हो गई थी खसरा क्रमांक 413 ग अंकित हुआ था जबकि उक्त खसरा नंबर ग्राम खोभा में उपलब्ध नहीं था, बताते हैं कि 413 ग की जगह 4/3 ग होना चाहिए,इसी त्रुटि की वजह से राजस्व विभाग के कर्मचारियों ने मुआवजा राशि पाने के लिए संबंधित रकबे की रजिस्ट्री करवा ली अब मामले की वरिष्ठ अधिकारियों से शिकायत की गई है मामला विचाराधीन है लेकिन अब तक कोई न्याय नहीं मिल सका है ,

बताते हैं कि ग्राम खोभा की आराजी खसरा क्रमांक 413 ग को रेलवे से प्रभावित मानकर उसके क्रय विक्रय अंतरण बटवारा नामांतरण इत्यादि पर रोक लगाई गई थी किंतु आवेदक गणों के कब्जे व स्वत्व की आराजी खसरा क्रमांक 4/3 ग को रेलवे से प्रभावित मान कर उसका खसरा सुधार ना करते हुए अनुविभागीय अधिकारी देवसर ने अनावेदक गणों को अतिरिक्त लाभ पहुंचाने के उद्देश्य से अवेदकगणो के खसरा सुधार आवेदन को निरस्त कर दिया जबकि इस अभ्यावेदन के साथ एक सूची रजिस्ट्री कर्ताओं प्रस्तुत की जा रही है,जिसमें लगभग 29 किता रजिस्ट्री ग्राम खोभा की आराजी खसरा क्रमांक 4/3 ग की कर दी गई अगर 4/3 ग रेलवे से प्रभावित था तो उसकी 29 किता रजिस्ट्री नहीं हो सकती थी और अगर रेलवे से प्रभावित नहीं था तो फिर अनुविभागीय अधिकारी देवसर ने खसरा सुधार के प्रकरण को रेलवे से प्रभावित मानकर आवेदन को निरस्त क्यों कर दिया गया

 कहीं खसरा नंबर में जानबूझकर तो नहीं की गई त्रुटि

अब इस मामले में तरह-तरह के आरोप लगाए जा रहे हैं माना जा रहा है कि जब कलेक्टर सिंगरौली द्वारा रेलवे प्रभावित छूटे भूखंड के रकबे की रजिस्ट्री सहित बटवारा नामांतरण इत्यादि पर रोक लगाते हुए

आदेश पत्र जारी किया गया था उस पत्र में ग्राम खोभा के खसरा क्रमांक 413 ग अंकित था जबकि उक्त खसरा नंबर ग्राम खोभा में उपलब्ध नहीं था इसकी रिपोर्ट संबंधित पटवारी ने भी दिया था तथा लोक सेवा केंद्र ने भी इस खसरा नंबर को अनुपलब्ध बताया था अब इस प्रतिबंधित आदेश पारित होने के बाद ग्राम खोभा का खसरा क्रमांक 4/3 ग को रेलवे प्रभावित मानकर रजिस्ट्री कराई गई बताते हैं कि राजस्व विभाग के तमाम कर्मचारियों ने उक्त खसरा नंबर की रजिस्ट्रयां कराई है,ऐसे में सवाल यह खड़ा होता है

कि कहीं जानबूझकर तो कलेक्टर के प्रतिबंधित आदेश में खसरा क्रमांक में त्रुटि तो नहीं की गई क्योंकि जिस तरह से राजस्व विभाग ने खेल किया है ऐसे में कई तरह के सवाल खड़े हो रहे हैं फिलहाल जांच के बाद ही पूरा मामला स्पष्ट हो पाएगा। परंतु एक बात तो साफ है शासन को चूना लगाने में शासकीय कर्मियों की संलिप्तता को कम नहीं आंका जा सकता है ।

भ्रष्टाचार के मामले में खामोश जिला प्रशासन

ललितपुर सिंगरौली रेल लाइन से प्रभावित होने वाली सिंगरौली जिले की जमीनों के संबंध में किसान अपनी ही समस्या से जूझ रहे हैं तो वहीं दूसरी तरफ अधिग्रहण के नाम पर हुए भ्रष्टाचार के मामले में भी शिकायत के बाद भी जिला प्रशासन खामोश बैठा हुआ है आपको बताते चलें कि व्यापक पैमाने पर हुए इस भ्रष्टाचार को लेकर कई किसानों ने इसकी शिकायत जिला प्रशासन के समक्ष पूर्व में कर चुके हैं परंतु संबंधित मामले में जिला प्रशासन कोई विशेष रूचि नहीं दिखा रहा है ऐसे में प्रशासनिक अमले की भ्रष्टाचार के प्रति कार्यशैली को लेकर एक तरफ जहां किसानों में रोष व्याप्त हो गया है तो वहीं दूसरी तरफ प्रशासनिक अमले की कार्यशैली पर लोग सवालिया निशान खड़ा कर रहे हैं।

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