सिंगरौली

रेलवे परियोजना का सर्वे करने गये रेलवे कर्मियों को ग्रामीणों ने खदेड़ा

ललितपुर-सिंगरौली रेलवे परियोजना की भूमि अधिग्रहण में रेलवे एवं राजस्व विभाग की लापरवाही से कुछ गांवों के अंश भाग भूमि का अधिग्रहण नहीं हो पाया था। जबकि इन भूमियों के क्रय-विक्रय पर प्रतिबंध लगा हुआ था। आज रेलवे एवं राजस्व की टीम सर्वे करने पहुंची थी।

रेलवे लाईन का स्थान परिवर्तन करने पर ग्रामीण भड़क गये और रेल कर्मियों को सर्वे करने से खदेड़ दिया। ग्रामीणों की संख्या को देख रेल कर्मी उल्टे पाव भागने के लिए मजबूर हो गये।

गौरतलब हो कि सिंगरौली-ललितपुर रेलवे परियोजना के भूमि अधिग्रहण का अधिकांश कार्य पूर्ण कर लिया गया है। किन्तु झोखो एवं खम्हरिया सहित कुछ अंश भागों के आराजी का अधिग्रहण रेलवे एवं राजस्व कर्मियों की लापरवाही से नहीं हो पाया था। जबकि इन आराजियों पर पांच साल से क्रय-विक्रय, नामांतरण, बटनवारा पर तत्कालीन कलेक्टर ने रोक लगा दिया था। कल रेलवे एवं राजस्व की टीम ने संयुक्त रूप से झोखो का सर्वे करने गयी थी। वहां भी ग्रामीणों ने जमकर विरोध किया था।

आज चितरंगी ब्लाक के खम्हरिया कला उक्त टीम पहुंची तो अन्य स्थान पर सर्वे करने लगी। जिसको देख ग्रामीण भड़क गये। आक्रोशित खम्हरिया कला के ग्रामीणों ने रेलवे कर्मचारियों को जमकर खरी खोटी सुनाते हुए कहा कि पांच साल पहले हम लोग अपने जमीन देने के लिए तैयार नहीं हो रहे थे।

जनप्रतिनिधियों के समझाईश के बाद हम लोग जमीन देने के लिए तैयार हो गये। जिला प्रशासन ने उसी समय जमीनों के क्रय-विक्रय पर रोक लगा दिया था और हम लोग दूसरी जगह घर बना लिये। उम्मीद थी कि रेलवे अधिग्रहण के बाद हम लोगों के भूमि का मुआवजा देगा अब हम लोग कहीं के नहीं रह गये।

इसी जमीनों से हम लोग किसान क्रेडिट कार्ड लेकर बच्चियों को विवाह करते, लेकिन रोक लगने के कारण किसान क्रेडिट का भी लाभ नहीं मिल पाया। एक गरीब किसान ने यहां तक कहा कि यदि किसान क्रेडिट कार्ड बन गया होता तो हमारी बच्ची दूसरों के साथ न भागती। गरीबी के चलते वह दूसरे से गुप चुप तरीके से विवाह कर ली।

खम्हरिया कला के सरपंच ने भी साफ शब्दों में कहा है कि जिन आराजी को पहले से चिन्हित किया गया था उन्हीं भूमि के आराजी को अधिग्रहित करें वर्ना हम लोगों को रेल नहीं चाहिए। दूसरे आराजी पर सर्वे किया जा रहा है हम लोग इसको नहीं होने देंगे। ग्रामीणों के कड़े तेवर को देख रेलकर्मी उल्टे पाव भागने के लिए मजबूर हो गये। फिलहाल रेलवे कर्मियों के इस रवैये से ग्रामीणों में भारी आक्रोश पनप रहा है।

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