सिंगरौली

SINGRAULI NEWS : मौत बाँट रही कंपनी पर नियम कानून बेअसर

SINGRAULI NEWS : सिंगरौली में निवासरत लोगों के लिए प्रदूषण भले ही एक समस्या हो परंतु कंपनी प्रबंधन को ऐसा नहीं लगता है खुले तौर पर कहा जाए तो जिले में कार्य कर रहे कंपनियां स्थानीय लोगों को मौत बांट रहे हैं एवं इन कंपनियों पर नियम कानून भी बेअसर दिखाई पड़ रहा है ।

ऊर्जाधानी सिंगरौली औद्योगिक गतिविधियों के मद्देनजर चर्चाओं में हमेशा से बना रहा है वहीं दूसरी तरफ सिंगरौली जिले को लोग सिर्फ कमाई का अड्डा बना बैठे हैं.

प्रशासनिक अमला हो या पुलिस विभागीय अमला सिंगरौली एकमात्र ऐसा चारागाह बन चुका है। जहां पर आने वाला अधिकारी सिर्फ अपनी जेबे भरता आ रहा है दर्शल सिंगरौली जिले में मूलभूत सुविधाओं के साथ अन्य कई सुविधाएं आसानी से लोगों को मुहैया हो जाती हैं जिससे कि प्रशासनिक अमले के अधिकारी सिंगरौली को ही अपना कार्य स्थली बनाना पसंद करते हैं ।

सिंगरौली जिले में संचालित हो रही औद्योगिक इकाइयों को संचालन करने के लिए बाकायदा कई नियमों का पालन करना अनिवार्य है परंतु कंपनियों के आगे नियम कानून शायद बेअसर दिखाई पड़ रहे हैं इसके पीछे की प्रमुख वजह प्रशासनिक संरक्षण एवं प्रशासनिक के साथ में राजनैतिक संरक्षण की बात से इंकार नहीं किया जा सकता है सिंगरौली की जनता अपनी समस्याओं मैं ही सराबोर रहती है जनता की समस्याओं की तरफ प्रशासनिक अमले सहित जनप्रतिनिधि भी ध्यान नहीं देते हैं.

तो वही कंपनी अपनी मनमानी रवैये से भी बाज नहीं आ रही है कंपनियों के द्वारा नियम कानूनों को ठेंगा दिखाकर मनमाने ढंग से संचालन करने के पीछे कंपनी प्रबंधन के जिम्मेदार अधिकारी अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं इन पर लगाम लगाने वाले संबंधित विभाग भी कंपनियों के कृत्यों से आंख बंद कर बैठा हुआ है।

एनटीपीसी की राख बनी मुसीबत

सिंगरौली जिले में स्थापित तापीय विद्युत परियोजनाएं संयंत्र जिले के विभिन्न स्थलों में संचालित हो रहे हैं जिससे कि प्रदेश सहित देश के विभिन्न हिस्सों में बिजली सप्लाई की जा रही है परंतु सिंगरौली जिले में बनने वाली बिजली से भले ही प्रदेश सहित देश के अन्य हिस्से रोशन हो रहे हैं परंतु सिंगरौली जिले में इन संयंत्रों के कारण आम जनजीवन अस्त व्यस्त होता दिखाई पड़ रहा है.

दरअसल हम बात कर रहे हैं सिंगरौली जिले में स्थापित विद्युत परियोजनाओं से निकलने वाली राख इन दिनों लोगों के लिए जी का जंजाल बन चुकी है कोयला आधारित तापीय विद्युत परियोजनाओं में कोयला जलाकर बिजली उत्पन्न की जाती है कोयले की जलने के बाद बची हुई रात को प्लांट के बाहर स्थित डाइक निर्मित डैम में संग्रहित किया जाता है संग्रहित राख से लबालब भरे हुए कुंड में पानी गायब हो जाने के बाद से अब राख का ढेर खुले में पड़ा हुआ है.

ऐसे में थोड़ी सी भी हवा चलने पर यह राख हवा के साथ मिलकर आसपास के रहने वाले रह वासियों के लिए बेहद मुश्किल हालात पैदा कर रही है लोगों के घरों से लेकर लोगों के खानपान सहित उनके स्वास्थ्य पर भी इस राख का बुरा असर देखने को मिल रहा है राख के बारीगढ़ हवा के साथ मिलकर आबादी वाले क्षेत्रों में हवा को तो प्रदूषित कर ही रहे हैं साथ ही वहां रहने वाले रहवासियों की घरों में भी राख की एक मोटी परत दिखने लगी है स्थानीय बताते हैं कि उन्हें दिन हो या रात हो इस राष्ट्र से छुटकारा मिलता नजर नहीं आ रहा है.

 एक तरफ हवा में मिली इस राख के कारण उन्हें सांस संबंधी बीमारियां सांस लेने में कठिनाई सहित कई तरह की दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। ऐसा नहीं है कि संबंधित मामले को लेकर स्थानीय लोग कंपनी प्रबंधन से इस मामले की शिकायत ना की हो स्थानीय लोगों का आरोप है कि कई बार कंपनी प्रबंधन से संबंधित मामले की शिकायत करने के बावजूद भी कंपनी प्रबंधन ने अभी तक इस पूरे मामले पर किसी प्रकार की कोई ठोस कार्रवाई नहीं की है।

स्वच्छ परिवेश सहित स्वच्छ पर्यावरण का दावा मात्र कागजों तक सीमित

विद्युत संयंत्रों के संचालन एवं निकलने वाले अपशिष्ट पदार्थों के निष्पादन को लेकर प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड (pollution control board) की तरफ से जारी नियमों का पालन कंपनी प्रबंधन को करना होता है परंतु कंपनी प्रबंधन सारे आदेशों नियम कानूनों को दरकिनार कर अपने कार्य में मस्त दिखाई पड़ रहा है.

आपको बताते चलें कि सिंगरौली जिला देश के प्रदूषित शहरों में शुमार है जिले में एयर क्वालिटी इंडेक्स का हाल भी बेहद बुरा है प्रदूषण के बढ़ते ग्राफ को भी कंपनी प्रबंधन लगातार नजरअंदाज करता दिख रहा है तो वही प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के स्थानीय अधिकारी भी इस पूरे मामले पर खामोश बैठे हुए हैं।

कंपनी प्रबंधन (company management) की मेहरबानियां के बारे में स्थानीय जनता का आरोप है कि जिले के प्रशासनिक एवं पुलिस विभाग सहित अन्य कई विभागों के अधिकारियों का आशियाना भी एनटीपीसी के आवासीय परिसर में है ऐसे में प्रशासनिक अमले सहित अन्य अधिकारियों के द्वारा कंपनी प्रबंधन की मनमानी ऊपर लगाम नहीं लगाया जा रहा है.

जाहिर सी बात है कि जब प्रशासनिक अमले के अधिकारी कर्मचारी कंपनी प्रबंधन के द्वारा प्रदत्त आवासों में रह रहे हैं ऐसे में कंपनी प्रबंधन के खिलाफ शायद उनका बोलना उन्हें उचित प्रतीत नहीं हो रहा है और यही कारण है कि कंपनी प्रबंधन मनमाने तरीके से कार्य कर रहा है। जिले में लगातार बढ़ते हुए प्रदूषण का ग्राफ इस बात की तरफ भी इंगित करता है कि क्षेत्र में संचालित कई कंपनियां नियमों को ठेंगा दिखाकर संचालित की जा रही हैं.

कंपनियों को जारी नियमावली के तहत कार्य करना चाहिए था परंतु कंपनी के द्वारा यह नहीं किया जा रहा है जबकि कागजों की यदि बात करें तो कागजों में यह कंपनियां (companies) अपने सभी कार्यों को बखूबी तरीके से कर रही हैं तभी तो प्रशासनिक अमले के अधिकारी भी संबंधित कागजों का हवाला देकर उन पर कार्रवाई करने से बचते रहते हैं।

 

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