
MAHA SHIVRATRI: महाशिवरात्रि का धार्मिक दृष्टि से बड़ा ही महत्व है। इसे की शिवरात्रि और मास शिवरात्रि भी कहते हैं। महाशिवरात्रि से एक महीने पहले आने वाली इस शिवरात्रि को नरक निवारण चतुर्दशी के नाम भी लोग जानते हैं। इस दिन झारखंड स्थित देवघर के बाबा बैजनाथ मंदिर में विशेष अर्चना की जाती है।
इस दिन भगवान शिव का विवाह तय हुआ था। इसी दिन देवी पार्वती और भगवान भोलेनाथ के विवाह की तिथि निकाली गई थी। इसलिए इस दिन का धार्मिक दृष्टि से बड़ा ही महत्व है।
महा शिवरात्रि नरक निवारण पर शिवजी पूजा
SHIVRATRI को देवी पार्वती और भगवान शिव की पूजा करने वाले पर भगवान भोलेनाथ और देव पार्वती की बड़ी कृपा होती है। धार्मिक मान्यता है कि जो व्यक्ति इस दिन निराहार रहकर भगवान भोलेनाथ का यह व्रत रखता है उसके जाने-अनजाने में हुए पाप कट जाते हैं और भगवान भोलेनाथ उसे नरक से उबार लेते हैं। इसलिए इस SHIVRATRI पर भगवान शिव का पूरे मनोयोग से पूजन करना चाहिए।
SHIVRATRI के दिन व्रती को बेर, सेम, तिल भगवान भोलेनाथ को अर्पित करना चाहिए। साथ ही भगवान भोलेनाथ का अभिषेक गंगाजल, दूध, शहद, घी, दूध से करना चाहिए। भगवान भोलेनाथ की पूजा में बेलपत्र का भी बड़ा ही महत्व है जिसका जिक्र शिवपुराण में भी किया गया है। और अगर इतना भी संभव न हो तो एक बेलपत्र भी अर्पित कर सकते हैं।
MAHA SIVRATRI
नरक निवारण महा शिवरात्रि पर क्या करे
महा शिवरात्रि पर नरक से मुक्ति और सुख समृद्धि के लिए भक्तों को इस दिन शिव पुराण की कथा का पाठ करना चाहिए। शिव चालीसा और रुद्राष्टक का पाठ भी इस दिन करना विशेष रूप से फलदायी माना गया है। इस SHIVRATRI के दिन व्रती के लिए यह नियम है कि दिन भर व्रत करके संध्या के समय सेम और बेर खाकर व्रत खोलना चाहिए।
मन, वाणी से कोई भी ऐसा काम नहीं करना चाहिए जिससे किसी को कष्ट हो। भगवान शिव से प्रार्थना करनी चाहिए कि जाने-अनजाने में जो उनसे कोई पाप पाप कर्म हुए है उसके लिए क्षमा करें और नरक जाने से रक्षा करें।