नाबालिक से दुष्कर्म के मामले में आरोपी को आजीवन कारावास की सजा

नाबालिक से दुष्कर्म के मामले में आरोपी को आजीवन कारावास की सजा

एसपी ने इस मामले में स्वतः संज्ञान लेते हुए समय-समय पर दिए दिए थे दिशा निर्देश

सिंगरौली ~:     बैढ़न विशेष न्यायालय पोक्सो कोर्ट बैढ़न न्यायाधीश राकेश कुमार कुशवाह की अदालत ने 13 वर्षीय नाबालिक से दुराचार के आरोपी को अर्थदंड के साथ आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। मोरवा थाना क्षेत्र के इस मामले में सिंगरौली पुलिस की संवेदनशीलता देखने को मिली है, जहां सिंगरौली पुलिस अधीक्षक ने इस मामले में स्वतः संज्ञान लेते हुए पुलिस अधिकारियों को समय- समय पर दिशा निर्देश दिए, वहीं उच्च न्यायालय से विशेष अनुमति लेकर पीड़ित नाबालिक बालिका का विधिक सुरक्षित गर्भपात कराया जाकर जीवन भी बचाया।

गौरतलब है कि मोरवा थाना क्षेत्र के गोरबी चौकी अंतर्गत 6 मई को ग्राम में अपने रिश्तेदारों के साथ पड़ोस में छठी कार्यक्रम में सम्मिलित होने गई 13 वर्षीय नाबालिका वहां से देर रात 10 बजे सौच के लिए निकली थी, पर वापस घर नहीं पहुंची। इसके बाद परिजनों ने थाने का रुख किया। इस मामले में वरिष्ठ अधिकारियों के निर्देशन प्राप्त कर गोरबी चौकी प्रभारी उपनिरीक्षक भिपेंद्र पाठक ने नाबालिका की गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज की थी, वहीं छानबीन में पता चला की खुटार चौकी अंतर्गत ग्राम करकोसा का पवन कुमार केवट उस रात वहां कार्यक्रम में सम्मिलित होने आया था और वह पीड़ित के पिता को पूर्व से ही जानता था। अतः शक की सुई पवन पर घूमती देख पुलिस ने उसकी तलाश शुरू की और विगत 36 घंटे के भीतर नाबालिक को वहां से बरामद कर लिया गया था। पुलिस ने नाबालिका के बयान एवं उसके मेडिकल परीक्षण के आधार पर आरोपी पवन कुमार केवट के विरुद्ध विभिन्न धाराओं के तहत मामला दर्ज किया था।

संवेदनशील मामले में एसपी ने स्वतः लिया था संज्ञान
पीड़िता के मेडिकल परीक्षण में यह बात सामने आई थी कि 13 वर्षीय नाबालिका 6 माह से गर्भवती थी। ऐसे में उसकी शारीरिक, मानसिक और सामाजिक दृष्टिकोण को देखते हुए सिंगरौली एसपी निवेदिता गुप्ता ने संज्ञान लेकर पुलिस अधिकारियों को कार्यवाही के लिए निर्देशित किया। वही माननीय उच्च न्यायालय उच्च न्यायालय के दिए गए आदेश एवं निर्देश का पालन कराते हुए सिंगरौली जिला चिकित्सालय एवं श्याम शाह मेडिकल कॉलेज रीवा से समन्वय स्थापित कर नाबालिक बालिका का सुरक्षित गर्भपात कराया गया। प्रकरण की विवेचना में भी परिस्थिति जन्य एवं मानवीय साक्ष्यों के साथ-साथ वैज्ञानिक साक्ष्यों का भी संकलन किया गया।

फास्ट ट्रैक की तरह चला यह मामला
6 मई को हुए इस घटनाक्रम के बाद पुलिस की सक्रियता के कारण विगत 5 महीनों में ही आरोपी को सजा सुना दी गई। इसके लिए लगातार मामले में तेजी लाते हुए अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक शिवकुमार वर्मा एवं अनुविभागीय अधिकारी कृष्ण कुमार पाण्डेय के मार्गदर्शन में तात्कालिक निरीक्षक रहे अशोक सिंह परिहार समेत वर्तमान निरीक्षक कपूर त्रिपाठी द्वारा गवाहों के बयान समेत अन्य औपचारिकताएं पुरी की गई। और 1 अक्टूबर को माननीय न्यायालय ने आरोपी को दोषी करार देते हुए अपने शेष प्राकृत जीवन के लिए कारावास की सजा सुनाते हुए अर्थ दंड भी दिया गया है। मामले में अभियोजन की ओर से एडीपीओ आनंद कमलापुरी के द्वारा अभियोजन के पक्ष को तार्किकता के साथ माननीय न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत किया गया था।

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