डॉ एपी पटेल व ऋतू पटेल की क्लिनिक के सामने नालियों में तैर रहे बायो मेडिकल वेस्ट
सिंगरौली ~: एनजीटी के सख्त निर्देशों के बावजूद जिले में जैव चिकित्सकीय कचरे (बायो मेडिकल वेस्ट) के निस्तारण का उचित बंदोबस्त नहीं किया गया है। निजी चिकित्सालयों भी मनमाने तरीके से खुले में इस खतरनाक कचरे को फेंक रहे हैं, जिससे बीमारियों के फैलने की आशंका है। जिले के निजी क्लीनिक से निकलने वाले कचरे के निस्तारण की मुकम्मल व्यवस्था नहीं की गई है। स्थिति यह है कि अस्पतालों से प्रतिदिन बायो मेडिकल वेस्ट कचरा निकलता है। कई अस्पतालों में मरीजों को इंजेक्शन लगाने के बाद सीरिंज को भी खुले में फेंक दिया जाता है। अस्पतालों से बॉयोवेस्ट का निस्तारण भी नियमित रूप से नहीं होता। बॉयो वेस्ट सड़क किनारे कूड़ों में फेंक दिया जाता है। इससे लोगों में संक्रमण फैलने की आशंका हमेशा बनी रहती है। इसके बावजूद बायोमेडिकल वेस्ट डिस्पोजल को लेकर संबंधित विभाग के अधिकारी गंभीर नहीं हैं।
गौरतलब है कि नर्सिंग होम और अस्पताल संचालक कागजों में ही बॉयो वेस्ट का निस्तारण कर दे रहे हैं। जिस कंपनी को वह बॉयो वेस्ट देने का दावा करते हैं, वास्तव में उस कंपनी की गाड़ी हफ्ते में एक दो दिन ही आती है। नियम है कि 24 घंटे के अंदर बॉयो वेस्ट का निस्तारण कर दिया जाए। ऐसे में बॉयो वेस्ट खुले में फेंका जा रहा है।
स्टेडियम तिराहे पर बायो बेस्ट से बजबजा रही नालियाँ
शहर के बीचोबीच चल रहे क्लीनिक की लापरवाही सामने आई है। आप को बता दे स्टेडियम तिराहे पर संचालित होने वाला क्लीनिक जिसमें डॉ एपी पटेल व ऋतू पटेल द्वारा मरीजों का इलाज किया जाता है। और क्लीनिक से निकलने वाले बायो बेस्ट को सामने खुली हुई नाली में डाल दिया जा रहा है। अभी कुछ दिन पहले ही निगमायुक्त ने कुछ मेडिकल क्लीनिक व लैब पर कार्रवाई करते हुए सील कर दिया गया था। लेकिन उसके बाद भी शहर के छोटे क्लीनिक और प्राइवेट अस्पताल लगातार नियमों का उलंघन कर रहे है। जिम्मेदार भी कुछ जगह कार्रवाई कर जनता को बताते रहते है कि कार्रवाई हो रही है, लेकिन ये कार्रवाई सिर्फ और सिर्फ नाम मात्र के लिए ही रहती है।
शासन ने किसी भी सूरत में बायो मेडिकल वेस्ट को खुले में न फेंकने का निर्देश दे रखा है। निस्तारण के नियम भी तय किए गए हैं। बावजूद जिले के अधिकांश अस्पतालों में इसका पालन नहीं हो रहा। अस्पताल खुले में कचरा फेंक रहे हैं। ज़िले के अस्पतालों ने जैविक कचरे के निस्तारण के लिए कोई व्यवस्था नहीं की है। इनके यहां से हर दिन निकलने वाला कूड़ा कचरे के ढेर में या नालियों में फेंक दिया जाता है। शासन का निर्देश है कि संचालित निजी अस्पतालों के नवीनीकरण व पंजीयन के दौरान बायो वेस्ट निस्तारण का प्रमाणपत्र लगाने के बाद ही उनका नवीनीकरण किया जाए।
डिस्पोज नहीं किया जाता कचरा
बॉयो मेडिकल वेस्ट से संक्रमण का खतरा होता है। बायो मेडिकल कचरे को एकत्रित कर डिस्पोज किया जाना चाहिए। लेकिन अस्पतालों में ऐसा नहीं हो रहा है। सूत्रों के अनुसार बॉयो मेडिकल कचरे को एकत्रित करके ट्रांसपोर्ट व डिस्पोज करने के लिए सतना की किसी कंपनी को ठेका दिया गया है, लेकिन जिला अस्पताल के पास खुली प्राइवेट क्लीनिक व बैढ़न शहर के अन्य जगहों पर खुली क्लीनिकों, सरकारी और प्राइवेट अस्पतालों में जगह जगह कचरे के ढेर लगे हुए हैं। डस्टबिन और खुले में बायो मेडिकल कचरा सफाई कर्मियों द्वारा खुले में डाल दिया जाता है। वहीं कुछ प्राइवेट क्लीनिक संचालक भी अपने यहां से निकलने वाले बायो मेडिकल वेस्ट खुले में फेंकते हैं।