भ्रष्टाचार का आरोप सिद्ध, 2 वर्ष बाद भी नही हो सकी एफआईआर

भ्रष्टाचार का आरोप सिद्ध, 2 वर्ष बाद भी नही हो सकी एफआईआर

सिंगरौली~:   प्रदेश सरकार के मुखिया मोहन यादव इस समय एक्शन मोड पर नजर आ रहे हैं, भ्रष्टाचार के मामले में जीरो टॉलरेंस नीति की बात कह रहे हैं। भ्रष्टाचार को लेकर प्रदेश के मुखिया काफी सख्त नजर आ रहे हैं। वहीं दूसरी तरफ पुलिस विभाग द्वारा दोहरा मापदंड दंड का आरोप लग रहा है। आमजन और पुलिस विभाग के लिए अलग-अलग कार्रवाई देखने को मिल रही है। दरशल हाई पहुंच रखने वाले विभागीय अधिकारियों को जांच के नाम पर परखने का आरोप ऐसा आमजन का है। वर्ष 2022 में सिंगरौली जिले में पुलिस विभाग के आरआई आशीष तिवारी को लेकर जनता से शिकायत हुई, जिसमें आरोप लगा कि आरआई के द्वारा शासकीय राशि का दुरुपयोग किया गया एवं संबंधित मामले पर विभाग के अधिकारी द्वारा जांच कर तत्कालीन पुलिस अधीक्षक वीरेंद्र सिंह की भूमिका सामने आई है। रिपोर्ट प्रस्तुत की गई है संबंधित मामले में तत्कालीन पुलिस अधीक्षक द्वारा कार्रवाई की गई एवं संबंधित मामले में प्रारंभिक जांच में अपराध सिद्ध होने के बाद, विभाग ने मामले की विभागीय जांच के लिए सीधे जिले के पुलिस अधीक्षक को स्थापित किया।

पूरा मामला क्या था

जांच में सामने आया कि रक्षित पर्यवेक्षक आशीष तिवारी ने अपने पद पर, कर्तव्य एवं आचरण का दुरुपयोग करते हुए शासकीय और अन्य व्यक्तियों को प्राप्त किया है जो करीब 11 लाख है, इस मामले की जांच में यह भी सामने आया कि आशीष तिवारी ने कई जगहों पर अपने पद पर का प्रभावशाली दिखते हुए पुलिस विभाग की छवि को भी धूमिल किया गया है, वही आशीष तिवारी ने दमी खाते भी खुलवाए। जिसमें लाखों रुपयों का जमा पाया गया, शिकायत के बाद जांच में प्रथम दृष्टया आरोप सही पाया गया। रक्षित पर्यवेक्षक आशीष तिवारी के ऊपर लगे आरोपों के बाद तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया गया है।

पुलिस अधीक्षक द्वारा जारी आदेश में क्या कहा गया

शिकायतकर्ता नीरज सिंह निवासी विध्यनगर सेक्टर नंबर 04 सिंगरौली द्वारा रक्षित निरीक्षक आशीष तिवारी, जिला सिंगरौली के शासकीय शिकायत के गबन करने के विषय में प्राप्त शिकायत पत्र की जांच हेतु नगर पुलिस अधीक्षक, विध्यनगर को निर्देशित किया गया था। इसके बाद रक्षित निरीक्षक आशीष तिवारी के द्वारा जाचकर्ता बदले जाने के लिए आवेदन पत्र प्रस्तुत किया गया, जिस पर विचार करने के बाद अनुविभागीय अधिकारी (पुलिस) सिंगरौली जिला सिंगरौली को शिकायत पत्र की अग्रिम जांच का आदेश दिया गया।

तारतम्य में अनुविभागीय अधिकारी (पुलिस) जिला सिंगरौली द्वारा पत्र क्रमांक/ अ०अ०पु०/सिंगरौली/शिकायत/ जनता / 893 (25/21)/2022 दिनांक 09.03.2022 के माध्यम से विस्तृत शिकायत जांच प्रतिवेदन इस कार्यालय में किया गया है, संपूर्ण जांच में बयानों, दस्तावेजी साक्ष्यों एवं देनदारियों के आधार पर पाया गया है कि रक्षित पर्यवेक्षक आशीष तिवारी, जिला सिंगरौली द्वारा योग्य पुलिस विभाग के विभिन्न मदों में शासकीय देनदारियों का फर्जी/ कूटरचित बिल तैयार कर एवं अन्य भुगतानकर्ताओं की राशि को विनोद कुमार यादव के नाम से यूनियन बैंक ऑफ इंडिया शाखा संजय नगर जिला सिंगरौली में खुलवाया जाकर डमी खाता क्रमांक 452502010027133 में 10,59,795/- रुपये प्राप्त किए गए एवं रक्षित पर्यवेक्षक आशीष तिवारी के निजी खाते में 10,000/- रुपया (मो.नं. 9407512100) यूपीआई के माध्यम से प्राप्त किए गए।

इस प्रकार रक्षित पर्यवेक्षक आशीष तिवारी द्वारा अपने पदीय कर्तव्य एवं पड़ोसियों का आरोप कर शासकीय एवं अन्य दोषियों (कमीशन सहित) कुल 10,69,795 /- रुपये (दस लाख उनहत्तर हजार सात सौ पंचान्ये रुपये) प्राप्त किया गया है। रक्षित पर्यवेक्षक आशीष तिवारी द्वारा खुलवाये गये डमी अकाउंट नंबर 452502010027139 में हस्तांतरित राशियों का उपयोग आशीष तिवारी, रक्षित पर्यवेक्षक द्वारा अपने मोबाइल नंबर 7000226922 (उक्त मोबाइल नंबर श्री आशीष तिवारी पिता देवकीनंदन तिवारी, मकान नंबर 241, ग्राम टिकुरी, पोस्ट टिकुरी, राजनगर, जिला छतरपुर के नाम से पंजीकृत है।) इंटरनेट बैंकिंग और यूपीआइ व अन्य मांध्यम से गबन कर स्वयं के निजी हित में उपभोग कर पदीय कर्तव्य के प्रति गंभीर संक्रामक स्वेच्छाचारिता, कदाचार एवं भ्रष्ट आचरण को चित्रित कर पुलिस विभाग की छवि को धूमिल करना पूर्णतः प्रमाणित पाया गया ।
उपरोक्त पदों पर नियुक्त निरीक्षक आशीष तिवारी, जिला सिंगरौली को उनके द्वारा पदीय कर्तव्य के प्रति गंभीर निवारक, स्वेच्छाचारिता, कदाचार एवं शासकीय रूप से पूर्ण गबन कर पुलिस विभाग की छवि को धूमिल करने के लिए तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया जाता है। निलंबन अवधि में इनका मुख्यालय रक्षित केन्द्र, सिंगरौली में स्थित है। निलंबन अवधि में नियमानुसार जीवन निर्वाह भत्ता देय होगा। इस संबंधित मामले में लगभग 2 साल बीतने के बाद भी विभाग द्वारा भ्रष्टाचार को लेकर अबतक कोई भी टीम दर्ज नहीं की गई है। एवं सीधा जिले के पुलिस अधीक्षक द्वारा अबतक विभागीय जांच की जा रही है दो साल बीतने के बाद भी इस मामले में कार्रवाई के नाम पर निलंबन एवं विभागीय जांच तक ही सिमट कर रह गई है।

इनका कहना है

मामले को लेकर विभागीय जांच प्रक्रियाधीन है।

विभागीय जांच अधिकारी (पुलिस अधीक्षक सीधा )डॉ रविन्द्र वर्मा

Comments

No comments yet. Why don’t you start the discussion?

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *