बढ़ती कोयला मांग की पूर्ति के लिए पूरी तरह तैयार एनसीएल- श्री बी. साईराम, सीएमडी एनएसीएल
एनसीएल मुख्यालय में सोमवार को मीडिया से मुखातिब हुए सीएमडी एनसीएल श्री बी. साईराम एवं निदेशकमंडल
सिंगरौली~: सोमवार को भारत सरकार की मिनीरत्न कंपनी नॉर्दर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड (एनसीएल) के अध्यक्ष-सह-प्रबंध निदेशक (सीएमडी) श्री बी. साईराम मीडिया से मुखातिब हुए ।सीएमडी एनसीएल श्री साईराम के अतिरिक्त एनसीएल के निदेशक(कार्मिक) श्री मनीष कुमार, निदेशक(वित्त) श्री रजनीश नारायण, निदेशक (तकनीकी/संचालन) श्री जितेंद्र मलिक, निदेशक (तकनीकी/परियोजना एवं योजना) श्री सुनील प्रसाद सिंह भी इस अवसर पर मौजूद थे।मीडिया को संबोधित करते हुए सीएमडी एनसीएल ने कहा कि एनसीएल ने देश की ऊर्जा संरक्षा में अहम योगदान देते हुए वित्त वर्ष 2023-24 में अपने 135 मिलियन टन के लक्ष्य से अधिक 136.15 मिलियन टन कोयला उत्पादन एवं 137.63 मिलियन टन कोयला प्रेषण (डिस्पैच) किया है ।बीते वर्ष की कंपनी की उपलब्धियों का विस्तार से चर्चा करते हुए श्री साईराम ने बताया कि एनसीएल ने वित्तीय वर्ष 2023-24 में अधिभार हटाव में अद्वितीय प्रदर्शन करते हुए पहली बार 500 मिलियन क्यूबिक मीटर के आंकड़े को पार किया व 513.6 मिलियन क्यूबिक मीटर अधिभार हटाया है।इस दौरान एनसीएल ने बिजली की बुनियाद की अपनी भूमिका का बखूबी निर्वहन करते हुए बिजली घरों को भारी मात्रा में 122.21 मिलियन टन कोयला प्रेषित किया है। इस दौरान गैर-विनियमित क्षेत्र (एनआरएस) को भी एनसीएल ने भरपूर मात्रा में कोयला आपूर्ति की है।नेट ज़ीरो एनर्जी कंपनी बनने की दिशा में एनसीएल सौर ऊर्जा प्लांट की स्थापना कर रही है, जिसमें निगाही क्षेत्र में 50 मेगावाट के सोलर प्लांट का संचालन चालू हो गया है। एनसीएल 250 मेगावाट अतिरिक्त सौर ऊर्जा क्षमता के विकास पर भी तेजी से कार्य कर रही है। एनसीएल में सौर ऊर्जा क्षमता के विकास के लिए एक विशेष सेल का गठन भी किया गया है।
उन्होंने बताया कि एनसीएल अपना अधिकतर कोयला पर्यावरण अनुकूल माध्यम से प्रेषित करती है एवं वित्त वर्ष 2023-24 में कुल कोयला प्रेषण का लगभग 84 प्रतिशत कोयला हरित विधियों के माध्यम से उपभोक्ताओं को प्रेषित किया है। उन्होने मीडिया से मुखातिब होते हुए कहा कि कंपनी के विस्तार के लिए अहम पूंजीगत व्यय के अंतर्गत एनसीएल ने वित्तीय वर्ष 2023-24 में रु 2150 करोड़ पूंजीगत व्यय के लक्ष्य के सापेक्ष रु 3748.60 करोड़ खर्च किया है।
एनसीएल सिंगरौली परिक्षेत्र में रोजगार मुहैया करवाने में भी अग्रणी है। इस कड़ी में वर्ष 2023-24 में भू विस्थापितों को 77 एवं अनुकम्पा में 101 नियुक्ति दी गईं हैं। साथ ही सीधी भर्ती द्वारा अलग-अलग संवर्गों में 691 भर्तियाँ की गईं हैं।सीएमडी एनसीएल ने बताया कि कंपनी समाज के विभिन्न वर्गों के उत्थान के लिए सदैव प्रतिबद्ध है व कंपनी ने अपनी सीएसआर गतिविधिओं में स्वास्थ्य, कौशल विकास, रोजगार, खेल प्रोत्साहन, शिक्षा, सड़कों के निर्माण एवं कोविड से बचाव जैसे अनेक कार्यों पर विगत 10 वर्षों में 1031.15 करोड़ से अधिक खर्च किया है, जिससे 200 गाँव के 10 लाख से अधिक लोगो को लाभ पहुंचा है। साथ ही पिछले वित्त वर्ष में एनसीएल ने सीएसआर के तहत रु 157.87 करोड़ खर्च किया है। सीएमडी ने इस अवसर पर एनसीएल की विभिन्न सीएसआर पहलों को विस्तार से रखा।
उन्होने बताया कि एनसीएल अपने 3 अस्पताल व 10 डिस्पेन्सरी के माध्यम से सिंगरौली परिक्षेत्र के सभी लोगो को बेहतरीन स्वास्थ्य सुविधा मुहैया करवाती है। साथ ही कंपनी के नेहरू शताब्दी चिकित्सालय (एनएससी) के आधारभूत संरचना का भी लगातार उन्नयन किया जा रहा है व नए चिकित्सकों की भर्ती भी की जा रही है।
पर्यावरण बेहतरी व संरक्षण की दिशा में उठाए गए कदमों का जिक्र करते हुए सीएमडी एनसीएल ने बताया कि कंपनी ने स्थापना से लेकर अबतक 2.73 करोड़ वृक्षारोपण किया है। साथ ही एनसीएल वनीकरण की नई पद्धति ‘मियावाकीÓ को भी अपना रही है।
उन्होने यह भी कहा कि एनसीएल भारत सरकार के ग्रीन क्रेडिट प्रोग्राम के अंतर्गत सक्रिय रूप से भाग लेकर उत्तर प्रदेश के 5 जिलों में व मध्य प्रदेश के 3 जिलों में 300 हेक्टेयर भू-क्षेत्र के वनीकरण हेतु अनुदान उपलब्ध कराने के योजना पर भी सफलता पूर्वक कार्य कर रही है।
उन्होंने कंपनी की अन्य उपलब्धियों एवं भावी योजनाओं पर मीडिया से व्यापक बातचीत की और बताया कि एनसीएल को वित्त वर्ष 2024-25 के लिए 139 मिलियन टन कोयला उत्पादन व प्रेषण के लक्ष्य दिये गए हैं। उन्होंने बताया कि निकट भविष्य में एनसीएल की वर्तमान परियोजनाएं जैसे निगाही, जयंत, ब्लॉक-बी, बीना-ककरी आदि का विस्तार किया जाएगा, जो नज़दीक़ी बिजली घरों की बढ़ती हुई जरूरत को पूरा करने में सहायक होंगी। साथ ही एनसीएल के मेन बेसिन में स्थित ब्लॉक का डीपीआर तैयार किया जा रहा है एवं आने वाले समय में वहाँ से भी भूमिगत खदानों द्वारा कोयला उत्पादन की शुरुआत होगी।