चुनाव आयोग के फरमान से भी ऊपर हैं सिंगरौली के अधिकारी

चुनाव आयोग के फरमान से भी ऊपर हैं सिंगरौली के अधिकारी

सिंगरौली~: सिंगरौली जिले में मौजूद सरकारी कार्यालय में कहने के लिए सरकारी फरमान व नीतियों के मद्देनजर संचालित हो रहे हैं ।इलेक्शन कमीसन के द्वारा भारत में निष्पक्ष लोकसभा चुनाव करवाने के लिए किसी भी क्षेत्र में 3 साल तक पदस्थ कर्मचारियों के ट्रांसफर करने के आदेश जारी किए गए थे। इस मामले में चुनाव आयोग ने अपडेट जारी किया था। इस अपडेट के बाद पूरे भारत में शासकीय अधिकारियों एवं कर्मचारियों के बड़े पैमाने पर स्थानांतरण देखने को मिले।केंद्रीय व राज्य सरकार के अधीन कार्यरत कर्मियों को स्थानांतरित किया गया । प्रशासनिक अधिकारी अथवा कर्मचारियों की पद स्थापना संसदीय क्षेत्र के भीतर बनी हुई है। इसके कारण चुनाव के प्रभावित होने की संभावना है। ऐसी किसी भी संभावना को रोकने के लिए चुनाव आयोग ने अपनी स्थानांतरण नीति में संशोधन कर दिया है। नए नियमों के अनुसार, 3 साल पूरा करने वाले अधिकारियों को संसदीय क्षेत्र के बाहर स्थानांतरित किया जाना है। यह नियम उन सभी लागू होंगे, जिनका हाल ही में चुनाव आयोग की पुरानी ट्रांसफर पॉलिसी के अनुसार ट्रांसफर किया जा चुका है। परंतु जिले में एक अधिकारी ऐसे भी हैं जिन्होंने अपने कार्यकाल में 2 विधानसभा चुनाव और 1 एक लोकसभा चुनाव सम्पन्न करा दिया ।आगामी 19 अप्रैल को होने वाले लोकसभा के प्रथम चरण के चुनाव सीधी लोकसभा सहित अन्य जगहों पर होना है जो पदस्थ अधिकारी के कार्यकाल के दूसरा लोकसभा चुनाव सम्पन्न होगा।

जाने पूरा मामला

सिंगरौली जिले के आदिमजाति कल्याण विभाग में विभाग प्रमुख सहायक आयुक्त के पद पर पदस्थ अधिकारी संजय खेड़कर की पदस्थापना सिंगरौली जिले में लगभग वर्ष 2017-18 में हुई । विभाग प्रमुख के पद पर रहते हुए इनका कार्यकाल अब तक का है लगभग 7 वर्ष का एक लंबा कार्यकाल सिंगरौली जिले में रहते हुए व्यतीत हुआ है ऐसे में सरकारी तंत्र के स्थान्तरण नीति की खुलेआम धज्जियां उड़ाई गई ।वहीं स्थान्तरण को लेकर विभागीय सूत्र बतातें हैं कि संबंधित अधिकारी के स्थान्तरण को लेकर 2 बार आदेश जारी किए जा चुके हैं। यह बात समझ से परे है कि 2 बार स्थान्तरण आदेश के बावजूद भी अंगद के पॉव की तरह जिले में जमे हुए हैं ।गौरतलब हो कि जनजातीय कार्य विभाग, प्रदेश सरकार का एक प्रमुख विभाग है, जिसे जनजाति वर्गों के विकास एवं हित संरक्षण का दायित्व सौंपा गया है। इस दायित्व के निर्वहन हेतु विभाग जहां एक ओर अपने स्तर पर शैक्षणिक एवं आर्थिक उत्थान के साथ अनुपूरक कल्याणकारी योजनाएं संचालित कर रहा है, वहीं दूसरी ओर आदिवासी उपयोजना कार्यक्रम तथा विशेष घटक योजना के संबंध में नोडल विभाग के नाते विभिन्न विकास विभागों के मध्य समन्वयक की भूमिका निभाते हुए योजनाओं के बजट प्रावधान एवं अनुश्रवण का कार्य भी कर रहा है।मध्यप्रदेश शासन जनजातीय कार्यविभाग मंत्रालय भोपाल की तरफ से जारी पत्र आदेश 24 मई 2023 में प्रदेश भर के 18 अधिकारियों का स्थानांतरण आदेश जारी हुआ था जिसमे की आदिमजाति कल्याण विभाग में पदस्थ सहायक आयुक्त संजय खेड़कर को प्रभारी संभागीय उपायुक्त जनजातीय कार्य एवं अनुसूचित जाति विकास रीवा जिले में स्थानांतरित किया गया उक्त आदेश के बाद भी अभी भी जिले में पदस्थ होने विभागीय साँठ गाँठ की तरफ इंगित करता है।

स्थान्तरण नीति एवं चुनाव आयोग का फरमान बेअसर

सिंगरौली जिले के आदिमजाति कल्याण विभाग के सहायक आयुक्त लंबे अरसे से जिले पदस्थ हैं जिनपर वरिष्ठ कार्यालय के आदेश भी बेअसर दिखाई पड़ रहे हैं।गौरतलब हो कि कार्यपालिक अधिकारियों एवं कर्मचारियों द्वारा एक ही स्थान पर सामान्यतः 3 वर्ष या उससे अधिक पदस्थापना की अवधि पूर्ण कर लेने के कारण स्थानांतरण होना सामान्य व स्थान्तरण नीति के तहत है। इसका आशय यह है कि जिन आधारो पर स्थानान्तरण किया जा सकता है उनमें एक आधार यह भी है । यह अनिवार्य नही है कि 3 वर्ष पूर्ण होने पर स्थानान्तरण किया ही जाए इससे पूर्व भी किया जा सकता है।चुनाव आयोग का गठन देश के संविधान के तहत किया गया है। यह एक संवैधानिक संस्था है। संविधान के अनुच्छेद 324 में चुनाव आयोग के कार्यों के बारे में लिखा है। अनुच्छेद में निष्पक्ष और रूप से स्वतंत्र रूप से चुनावों के संचालन और निर्वाचक नामावली का जिक्र है संविधान के तहत जो शक्तियां चुनाव आयोग को मिली है, उसमें उसे कानून के मुताबिक पारदर्शिता से लोकसभा, विधानसभा और अन्य चुनाव कराने का अधिकार हासिल है। चुनाव कराने के लिए आयोग लॉ एनफोर्समेंट एजेंसियों के साथ तालमेल बिठाकर काम करता है।ऐसे में चुनाव के समय स्थान्तरण संबंधित आदेश जारी किया जाता है।

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