सिंगरौली~: उच्च शिक्षा विभाग मध्य प्रदेश शासन भोपाल और प्राचार्य डॉक्टर व्ही. एस. कुशराम के निर्देशानुसार, शास. महाविद्यालय रम्पा, जिला सिंगरौली में अषाढ़ शुक्ल पक्ष पूर्णिमा, 21 एवं 22 जुलाई को गुरु पूर्णिमा का कार्यक्रम बड़े ही हर्ष उल्लास के साथ मनाया गया ।
गुरु पूर्णिमा कार्यक्रम के मुख्य अतिथि सरस्वती विद्यालय जयंत के पूर्व प्राचार्य श्री नारायण प्रसाद भट्ट, गणमान्य नागरिक श्री प्रवीण सिंह की उपस्थिति में संपन्न हुआ । कार्यक्रम की शुरुआत उपस्थिति मुख्य अतिथि एवम महाविद्यालय के स्टाफ डॉ. लवी सिंह, डा. सुमनलता साकेत, सुश्री पलक जैन के द्वारा दीप प्रज्वलन, मां सरस्वती के प्रतिमा में धूप, दीप माल्यार्पण के साथ हुआ, श्री राजेश भट्ट के द्वारा सरस्वती वंदना प्रस्तुत की गई । गुरु पूर्णिमा के पवन अवसर पर प्रथम, द्वितीय वर्ष के उपस्थित सभी विद्यार्थियों के द्वारा गुरु बंदना, गीत प्रस्तुत कर सम्मानपूर्वक उपहार प्रदान कर अपने सभी गुरुजनों से स्नेह और आशीर्वाद प्राप्त किया गया । उक्त कार्यक्रम में महाविद्यालय के प्राध्यापक डॉ. गिरीश चतुर्वेदी, डॉ. अशोक गुप्ता, श्री रविन्द्र सिंह सोलंकी, डॉ. एम. एन. तिवारी, डॉक्टर सुमनलता साकेत, डॉ. लवी सिंह बघेल, ग्रंथपाल सुश्री पलक जैन, श्री राजेश भट्ट प्रमुख रूप से उपस्थित रहे ।
कार्यक्रम में महाविद्यालय के वरिष्ठ प्राध्यापक डॉ. अशोक गुप्ता के द्वारा विद्यार्थियों को गुरु पूर्णिमा का इतिहास और महत्व के बारे में विस्तार से बताया गया आपने बताया की गुरु पूर्णिमा का त्योहार प्राचीन काल से ही मनाया जाता रहा है, जब गुरु-शिष्य परंपरा का महत्व समाज में बहुत अधिक था। गुरु को ईश्वर के समान माना जाता था, और उनके मार्गदर्शन में शिष्य अपने जीवन को सफल बनाने की दिशा में काम करते थे। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि के द्वारा छात्रों को जीवन में गुरु और ज्ञान का महत्व कविता के माध्यम से बताया गया की इस पवित्र त्योहार पर, हम अपने गुरुओं को पूजा करें और उनके प्रति सम्मान व्यक्त करें। आइए गुरु पूर्णिमा के महत्व को बढ़ावा दें और अपने जीवन में गुरु-शिष्य परंपरा के महत्व को समझें एवं गुरु पूर्णिमा एक पवित्र हिंदू त्योहार है जो गुरु-शिष्य परंपरा के महत्व को दर्शाता है। यह खगोलीय घटना पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है, जो आमतौर पर जुलाई या अगस्त में पड़ती है।
महाविद्यालय के प्राध्यापक डॉ. एम. एन. तिवारी और डॉ. गिरीश चतुर्वेदी के द्वारा बताया गया की गुरु पूर्णिमा के दिन, लोग अपने गुरुओं को पूजा करते हैं और उनके प्रति कृतज्ञता व्यक्त करते हैं। वे अपने गुरुओं के चरणों में फूल चढ़ाते हैं, उन्हें भोजन कराते हैं, और उनके मार्गदर्शन में प्रार्थना करते हैं। गुरु पूर्णिमा के महत्व को बढ़ावा देने के लिए, विभिन्न स्कूलों, कॉलेजों, और सामाजिक संगठनों में विशेष कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। इन कार्यक्रमों में लोग गुरु-शिष्य परंपरा के महत्व को समझते हैं और अपने गुरुओं के प्रति सम्मान व्यक्त करते हैं। कम्प्यूटर साइंस विभाग के प्राध्यापक श्री रविन्द्र सिंह सोलंकी के द्वारा छात्रों को गुरु पूर्णिमा का संदेश दिया गया जिसमे उन्होंने बताया की गुरु पूर्णिमा का त्योहार हमें गुरु-शिष्य, ज्ञान परंपरा के महत्व को समझने का अवसर प्रदान करता है। यह हमें अपने गुरुओं के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करने और उनके मार्गदर्शन में अपने जीवन को सफल बनाने की दिशा में काम करने के लिए प्रेरित करता है। कार्यक्रम में महाविद्यालय के प्राध्यापक डॉ. सुमनलता, डॉ. लवी सिंह, सुश्री पलक जैन के द्वारा विद्यार्थियों के गुरु शिष्य परंपरा, जीवन में गुरु का महत्व और उनकी प्रेरणा के बारे में विचार व्यक्त किया गया साथ ही कई विद्यार्थी द्वारा भी गुरु वंदना के लिए विचार व्यक्त किया गया ।
कार्यक्रम का सफल संचालन हिंदी विभाग के प्राध्यापक डॉ. विशाल मिश्र के द्वारा किया गया । मंच संचालन के दौरान डॉ. मिश्र के द्वारा कई प्रेरक पौराणिक कथाओं के माध्यम से विद्यार्थियों का मार्गदर्शन किया गया । कार्यक्रम के अंत में मुख्य अतिथि के द्वारा गुरु महिमा पर काव्य पाठ किया गया जो विद्यार्थियों और सभी स्टाफ के लिए प्रेरक रहा । कार्यक्रम में आभार प्रदर्शन बीएससी द्वितीय वर्ष की छात्रा रश्मि प्रियदर्शी के द्वारा किया गया ।
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